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$22 अरब का बड़ा झटका! ऐपल और भारत के बीच क्यों कूदे ट्रंप! जानिए बड़ी वजह

ट्रंप की दखलअंदाजी से भारत और ऐपल के बीच व्यापारिक रिश्तों में दरार, अमेरिका की नीति पर उठे सवाल
04:20 PM May 15, 2025 IST | Avdesh
ट्रंप की दखलअंदाजी से भारत और ऐपल के बीच व्यापारिक रिश्तों में दरार, अमेरिका की नीति पर उठे सवाल

Trump Apple Intervention : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने Apple Inc. के सीईओ टिम कुक से भारत में उत्पादन इकाइयां (प्लांट) स्थापित करने की योजना को रोकने के लिए कहा है। iPhone निर्माता कंपनी Apple भारत में अपने उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ाना चाहती है, ताकि अगले साल के अंत तक अधिकांश iPhone भारत में ही निर्मित हों।

इससे कंपनी की चीन पर निर्भरता कम होगी। वर्तमान में Apple के ज्यादातर iPhone चीन में बनते हैं, जबकि अमेरिका में कंपनी कोई स्मार्टफोन नहीं बनाती।(Trump Apple Intervention) हालांकि, ट्रम्प Apple की चीन से बाहर उत्पादन बढ़ाने की रणनीति से असंतुष्ट हैं और चाहते हैं कि कंपनी अमेरिका में उत्पादन बढ़ाए।

ट्रंप का भारत को लेकर बड़ा बयान!

ट्रम्प ने अपनी हालिया कतर यात्रा के दौरान टिम कुक के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने कहा, "कल टिम कुक के साथ मेरी थोड़ी असहमति हुई।

वे भारत में प्लांट बना रहे हैं, लेकिन मैं नहीं चाहता कि Apple भारत में प्लांट बनाए।" ट्रम्प ने दावा किया कि इस बातचीत के बाद Apple अब अमेरिका में अपने उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान देगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "हमें भारत में आपके प्लांट बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। भारत अपना ध्यान खुद रख सकता है।"

ट्रम्प के बयान का भारत पर असर

ट्रम्प ने यह भी बताया कि भारत में विदेशी सामानों पर भारी आयात शुल्क लगता है, जिसके कारण अमेरिकी उत्पादों को भारतीय बाजार में बेचना चुनौतीपूर्ण है। भारत, जो दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, ने हाल ही में अमेरिकी सामानों पर आयात शुल्क कम करने का प्रस्ताव दिया है.

भारत का लक्ष्य आयात करों पर एक समझौता करना है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन बेहतर हो सके। ट्रम्प के इस बयान से Apple की भारत में उत्पादन बढ़ाने की योजना पर असर पड़ सकता है, क्योंकि कंपनी भारत को अपने वैश्विक उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र बनाना चाहती है.

Apple की चीन से दूरी और भारत में शुरुआत

Apple और इसके आपूर्तिकर्ता (सप्लायर्स) चीन से उत्पादन को अन्य देशों में स्थानांतरित करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। यह कदम तब तेज हुआ जब COVID-19 महामारी के दौरान चीन में Apple के सबसे बड़े प्लांट में उत्पादन ठप हो गया था।

इसके अलावा, ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव ने भी Apple को यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। भारत में Apple के ज्यादातर iPhone फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप के दक्षिण भारत स्थित प्लांट में बनाए जाते हैं।

Apple का भारत में उत्पादन और कारोबार

Apple ने भारत में अपने उत्पादन को तेजी से बढ़ाया है। मार्च 2025 तक पिछले 12 महीनों में कंपनी ने भारत में लगभग 22 बिलियन डॉलर (लगभग 1.84 लाख करोड़ रुपये) मूल्य के iPhone का उत्पादन किया है। यह पिछले साल की तुलना में लगभग 60% की वृद्धि दर्शाता है। भारत में Apple के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में फॉक्सकॉन और टाटा ग्रुप की इलेक्ट्रॉनिक्स इकाई शामिल हैं।

टाटा ग्रुप ने हाल ही में विस्ट्रॉन कॉर्प के भारतीय कारोबार को अधिग्रहित किया है और पेगाट्रॉन कॉर्प के संचालन को भी संभाल रहा है। टाटा और फॉक्सकॉन दक्षिण भारत में नए प्लांट स्थापित कर रहे हैं, जिससे उत्पादन क्षमता और बढ़ेगी।

वहीं भारत में Apple का कारोबार भी तेजी से बढ़ रहा है। कंपनी न केवल उत्पादन बढ़ा रही है, बल्कि भारतीय बाजार में अपनी बिक्री और ब्रांड उपस्थिति को भी मजबूत कर रही है। वित्त वर्ष 2024-25 में Apple का भारत में राजस्व 23.5 बिलियन डॉलर (लगभग 1.97 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है।

कंपनी ने भारत में अपने रिटेल स्टोर (Apple Stores) खोले हैं और स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की "मेक इन इंडिया" पहल का लाभ उठाया है। भारत में iPhone की मांग तेजी से बढ़ रही है।

भारत में Apple की रणनीति

Apple भारत को न केवल उत्पादन केंद्र के रूप में देख रही है, बल्कि इसे एक प्रमुख निर्यात केंद्र के रूप में भी विकसित करना चाहती है। भारत से निर्मित iPhone को वैश्विक बाजारों, विशेष रूप से यूरोप और अमेरिका, में निर्यात किया जा रहा है।

कंपनी का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में भारत में अपने कुल वैश्विक उत्पादन का 25-30% स्थानांतरित करना है। इसके लिए Apple ने भारत में अपनी आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) को मजबूत किया है और स्थानीय स्तर पर अधिक घटकों (कंपोनेंट्स) का उत्पादन शुरू किया है.ऐसे में ट्रम्प के बयान से Apple की भारत में विस्तार योजनाओं पर अनिश्चितता कितनी बढ़ती है ये आने वाला समय ही बता पाएगा.

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