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पैर छूने से सिर्फ आशीर्वाद ही नहीं मिलता, ऊर्जा और ज्ञान का भी होता है संचार, जानें इसका महत्व

पैर छूना एक परंपरा तो है ही, लेकिन इसका हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। आइए आपको इससे मिलने वाले लाभोंं के बारे में बताते हैं।
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सनातन धर्म में पैर छूना हमेशा से एक परंपरा रही है। दरअसल, बड़ों के पैर छूना और आशीर्वाद लेना यह हमेशा से हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है। हालांकि, जहां कुछ लोग इसे सिर्फ एक परंपरा मानते हैं, वहीं इसके पीछे एक बड़ा ही रोचक रहस्य भी है। जी हां, दरअसल यह ऊर्जा देने वाली आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जो आपको सकारात्मक ऊर्जा के साथ-साथ आशीर्वाद की भी प्राप्ति कराता है।

पैर छूने की परंपरा पर शास्त्र क्या कहते हैं?

ऊर्जा मिलना- भले ही आप शायद पहले से यह न जानते हो, लेकिन बृहत्पाराशर होरा शास्त्र और गरुड़ पुराण में इसका वर्णन मिलता है कि जब एक व्यक्ति निष्ठा से किसी बड़े के पैर छूता है, तो इससे पॉजिटिव एनर्जी मिलती है, जिससे मन शांत होता है।

पाप और अहंकार का नाश- मनुस्मृति में ऐसा कहा गया है कि अपने बड़ों और गुरु के पैर छूकर आशीर्वाद लेने से पाप तो नष्ट होते ही हैं, साथ ही जब आप विनम्रता से पैर छूते हैं, तो इससे अहंकार का भी नाश होता है।

मोक्ष मार्ग की कुंजी- उपनिषदों में ऐसा कहा गया है कि जब आप समर्पित होकर चरण स्पर्श करते हैं, तो इससे गुरु तत्व से जुड़ाव होता है, जो मोक्ष का मार्ग खोलता है।

ज्योतिष में भी है पैर छूने का अहम महत्व

इसके अलावा, ज्योतिष में भी चरण स्पर्श करने का एक खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि बड़ों के पैर छूने से शनि, गुरु और चंद्रमा मजबूत होते हैं। दरअसल, शनि अनुशासन और विनम्रता का ग्रह है, जबकि गुरू ज्ञान और चंद्रमा शांति का ग्रह है। इन तीनों ग्रहों के मजबूत होने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलने के साथ-साथ ज्ञान और विनम्रता भी मिलती है।

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