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हाईकोर्ट ने घटाया 80% टोल टैक्स, कहा सड़क ही खराब है, तो फिर टोल देने का कोई मतलब नहीं

अगर हाईवे पर चलना ही मुश्किल हो रहा है, तो वहां टोल वसूलने का कोई मतलब नहीं है। जनता को अच्छी सड़क मिल रही है, तो टोल लिया जाए।
08:43 PM Feb 27, 2025 IST | Vyom Tiwari

अगर सड़क खराब है, तो टोल टैक्स वसूलना यात्रियों के साथ नाइंसाफी है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में यही बात कही है, जो पूरे देश में असर डाल सकती है।

कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को आदेश दिया कि खराब सड़क के कारण टोल टैक्स में 80% तक की कटौती की जाए। यह फैसला नेशनल हाईवे 44 के संदर्भ में दिया गया है।

अदालत ने साफ कहा कि अगर सड़क पर काम चल रहा हो या उसकी हालत खराब हो, तो टोल टैक्स वसूलना सही नहीं है। टोल टैक्स का मकसद अच्छी सड़क के लिए शुल्क लेना होता है, लेकिन जब सड़क ही जर्जर हो, तो यात्रियों से टोल क्यों लिया जाए?

टोल टैक्स को लेकर बड़ा फैसला सुनाया

हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस ताशी रबस्तान और जस्टिस एमए चौधरी की बेंच ने पठानकोट-उधमपुर हाईवे पर टोल टैक्स को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि एनएचआई (NHAI) को इस रूट पर टोल टैक्स सिर्फ 20% ही लेना चाहिए। इसके साथ ही लखनपुर और बान टोल प्लाजा पर 80% तक टोल टैक्स घटाने का आदेश दिया गया है, जो तुरंत लागू होगा।

कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि जब तक सड़क की मरम्मत पूरी नहीं हो जाती, तब तक टोल टैक्स दोबारा नहीं बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, हाईवे पर हर 60 किलोमीटर के अंदर दूसरा टोल प्लाजा नहीं होना चाहिए। अगर कहीं ऐसा टोल प्लाजा बना हुआ है, तो उसे एक महीने के अंदर हटा दिया जाए या दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए।

सिर्फ पैसे कमाने के लिए टोल प्लाजा नहीं लगाए

अदालत ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सिर्फ पैसे कमाने के लिए टोल प्लाजा नहीं लगाए जा सकते। यह फैसला एक जनहित याचिका पर आया, जिसे सुगंधा साहनी नाम की महिला ने दायर किया था।

सुगंधा ने अपनी याचिका में लखनपुर, ठंडी खुई और बान प्लाजा पर टोल वसूली का विरोध किया। उनका कहना था कि इन इलाकों में सड़कें बहुत खराब हालत में हैं, फिर भी यात्रियों से भारी टोल वसूला जा रहा है। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2021 से हाईवे का 60% हिस्सा अभी भी निर्माणाधीन है, ऐसे में टोल की पूरी रकम लेना गलत है।

सुगंधा ने मांग की थी कि टोल वसूली का काम सड़क पूरी तरह बन जाने के 45 दिन बाद शुरू होना चाहिए। इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कड़ी टिप्पणी की और टोल में 80% की कटौती का आदेश दिया।

अच्छी सड़के नहीं तो टोल नही 

बेंच ने कहा कि अगर हाईवे पर सफर करना ही मुश्किल हो रहा है, तो टोल वसूलने का कोई तर्क नहीं बनता। जस्टिस ने साफ किया कि टोल वसूलने का मकसद यही होता है कि जनता को अच्छी सड़क मिले और उसकी लागत का कुछ हिस्सा वसूला जाए। लेकिन अगर सड़क ही खराब है, तो फिर टोल देने का कोई मतलब नहीं है।

 

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