नूंह में तब्लीगी जमात का ‘सुपर जलसा’, बायकॉट इजराइल बैनर से फिर बढ़ा विवाद
कोरोना काल में विवादों में रही तब्लीगी जमात अब एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मंच बना है हरियाणा का नूंह जिला, जहां 19 से 21 अप्रैल तक तीन दिनी इस्लामिक जलसा (इज्तेमा) आयोजित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह जलसा सिर्फ धार्मिक प्रवचन का मंच नहीं, बल्कि राजनीतिक और वैचारिक संदेश देने का केंद्र भी बन गया है।
क्या है तब्लीगी जमात का मकसद
तब्लीगी जमात का मूल उद्देश्य मुसलमानों को इस्लाम की बुनियादी तालीम देना और शरीयत के रास्ते पर चलाना बताया जाता है। इस जलसे में दूर-दूर से आए मौलाना और उलेमा लोगों को धर्म के प्रति जागरूक करते हैं। मगर इस बार बात सिर्फ यहीं तक नहीं रुकी।
‘बायकॉट इजराइल’ बैनर ने बढ़ाया विवाद
नूंह के जलसे में मुख्य द्वार पर लगा एक बैनर जिसमें “बॉयकॉट इजराइल प्रोडक्ट्स” लिखा गया है, अब चर्चा का विषय बन गया है। इससे साफ हो रहा है कि यह आयोजन सिर्फ धार्मिक सीमाओं में नहीं बंधा, बल्कि फिलिस्तीन-हमास समर्थक भावनाओं को भी खुलकर व्यक्त किया गया। इससे जलसे की वैश्विक राजनीति में संलिप्तता की झलक मिलती है।
हजरत मौलाना साद की मौजूदगी ने जोड़ा ध्यान
इस जलसे में तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद कंधालवी की शिरकत भी चर्चा का केंद्र रही। यह वही मौलाना हैं जो कोरोना काल में भी तब्लीगी कार्यक्रमों को लेकर सुर्खियों में रहे थे। उनकी मौजूदगी को देखकर भीड़ में उत्साह देखा गया। इतनी बड़ी संख्या में लोगों का जुटना प्रशासन के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं। पुलिस विभाग ने जगह-जगह बैरिकेडिंग, CCTV कैमरे, और इंटेलिजेंस यूनिट्स को सक्रिय किया है ताकि कोई अराजक तत्व भीड़ का फायदा न उठा सके।
4 किलोमीटर में फैला विशाल आयोजन
जलसे के मीडिया प्रभारी अख्तर अल्वी के मुताबिक, करीब 20 एकड़ में आयोजन फैला हुआ है। 4 किलोमीटर तक का एरिया टेंट, वॉलिंटियर सेक्टर, पार्किंग, जलपान आदि की सुविधाओं से लैस किया गया है। 8 लाख से ज्यादा लोगों की आमद की संभावना है। यहां पर व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुल 5000 वॉलिंटियर तैनात किए गए हैं। इनके साथ-साथ प्रशासन ने भी पुलिस और ट्रैफिक टीमों को अल+र्ट मोड पर रखा है।
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