नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

फ्री बीज पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- 'फ्री राशन और पैसा मिल रहा, इसलिए लोग काम नहीं करना चाहते'

सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त राशन और पैसों की योजनाओं पर चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है कि फ्रीबीज की प्रथा से लोगों में काम करने की इच्छा कम हो रही है।
07:36 AM Feb 13, 2025 IST | Girijansh Gopalan
सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त राशन और पैसों की योजनाओं पर चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है कि फ्रीबीज की प्रथा से लोगों में काम करने की इच्छा कम हो रही है।
featuredImage featuredImage

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मुफ्त राशन और पैसों के वितरण पर गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है कि सरकार द्वारा दी जा रही मुफ्त सुविधाओं के कारण लोगों में काम करने की इच्छाशक्ति कम हो रही है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जो शहरी गरीबों और बेघर व्यक्तियों के लिए आश्रय के अधिकार से संबंधित एक मामले पर थी।

कोर्ट ने कहा कि मुफ्त राशन और बिना काम किए पैसे मिलने की वजह से लोग काम करने के लिए प्रेरित नहीं हो रहे हैं। यह टिप्पणी उस वक्त आई, जब शहरी गरीबी और आश्रय के अधिकार पर सुनवाई हो रही थी। जस्टिस गवई ने कहा, “मुफ्त राशन और बिना काम के पैसे मिल रहे हैं, जिससे लोगों में काम करने का उत्साह कम हो गया है।” सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी मुफ्त राशन और फ्रीबीज (मुफ्त सुविधाएं) की प्रथा पर आधारित है, जो हाल के वर्षों में कई राज्यों में चुनावी मुद्दा बन चुकी है।

फ्रीबीज योजना से काम करने की इच्छा में कमी

मुफ्त राशन और पैसों की योजनाओं की वजह से लोग अपनी मेहनत से काम करने में रुचि नहीं दिखाते। यह नीति, हालांकि गरीबों को अस्थायी राहत देती है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कई राजनीतिक दल चुनावों के दौरान मुफ्त सुविधाएं देने का वादा करते हैं, लेकिन इसके परिणामस्वरूप लोगों में काम करने की इच्छा कम हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट का यह बयान इस विषय पर चिंता जताने के लिए आया है कि सरकार द्वारा दी जा रही मुफ्त सुविधाएं क्या समाज पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं।

 

शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन पर भी सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल

इस मामले की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि से सवाल किया कि केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को लागू करने में कितना समय लेगी। यह मिशन शहरी क्षेत्रों में गरीबों और बेघर व्यक्तियों के लिए आश्रय, रोजगार और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान करने के लिए तैयार किया जा रहा है। अटॉर्नी जनरल ने बताया कि मिशन अंतिम रूप में है और इस पर काम जारी है, लेकिन अब तक इसे लागू करने में कोई ठोस समय सीमा नहीं दी गई है। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि इस मिशन को लागू करने में कितना वक्त लगेगा, और इस मामले की सुनवाई अगले छह हफ्ते तक स्थगित कर दी है।

मुफ्त कैश वितरण पर दिल्ली हाई कोर्ट का अभी कोई फैसला नहीं

वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने बीजेपी, आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस द्वारा चुनावों में मतदाताओं को कैश वितरण के वादों पर विचार करने से इनकार कर दिया। यह जनहित याचिका सेवानिवृत्त न्यायाधीश एसएन ढींगरा ने दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि इस तरह के वादे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। हालांकि, अब यह मामला खत्म हो चुका है क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव समाप्त हो चुके हैं। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि यह कृत्य भ्रष्टाचार के दायरे में आता है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस पर चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट पहले से विचार कर रहा है।

ये भी पढ़ें:DGP प्रशांत कुमार का मौनी अमावस्या की भगदड़ पर माफीनामा, बोले- 'हमसे एक गलती हुई’

Tags :
Delhi High CourtFree RationFreebiesFreebies PolicyGovernment WelfareRation SchemeShelter RightsSupreme CourtUrban Povertywork cultureआश्रय अधिकारकार्य संस्कृतिदिल्ली उच्च न्यायालयमुफ्तमुफ्त नीतिमुफ्त राशनराशन योजनाशहरी गरीबीसरकारी कल्याणसुप्रीम कोर्ट

ट्रेंडिंग खबरें