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सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की राहुल गांधी से जुड़ी 125 एकड़ जमीन की आवंटन, बड़ा झटका कांग्रेस को!

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के ट्रस्ट को दिया बड़ा झटका, 125 एकड़ जमीन का आवंटन रद्द कर UPSIDC को लौटाया
01:05 PM May 31, 2025 IST | Rajesh Singhal
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के ट्रस्ट को दिया बड़ा झटका, 125 एकड़ जमीन का आवंटन रद्द कर UPSIDC को लौटाया

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट को सुल्तानपुर में 125 एकड़ जमीन का आवंटन रद्द करने के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (UPSIDC) के फैसलों को सार्वजनिक हित की रक्षा के लिए जरूरी बताया और कहा कि इतनी बड़ी औद्योगिक भूमि का आवंटन बिना जनहित का आकलन किए किया गया था।

यह ट्रस्ट कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की परदादी कमला नेहरू के नाम पर है। (Supreme Court) जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने ट्रस्ट की अपील को खारिज करते हुए कहा कि वर्ष 2003 में जमीन आवंटित होने के बावजूद ट्रस्ट ने समय पर भुगतान नहीं किया और बार-बार ब्याज माफ करने और बकाया पेमेंट की नई तारीखें तय करने जैसी अनुचित रियायतों की मांग करता रहा। अदालत ने बाद में इसी जमीन को जगदीशपुर पेपर मिल्स को किए गए आवंटन को भी रद्द कर दिया।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला 1983 में शुरू हुआ था, जब यूपी सरकार ने UPSIDC को यह जमीन औद्योगिक विकास के लिए दी थी। बाद में यह जमीन कमला नेहरू मेमोरियल ट्रस्ट को हस्तांतरित कर दी गई, जिसका सीधा संबंध गांधी परिवार से माना जाता है। ट्रस्ट के अध्यक्षों में कभी राहुल गांधी और सोनिया गांधी भी रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दलील दी कि जमीन का उपयोग औद्योगिक उद्देश्य की बजाय निजी और राजनीतिक हितों के लिए किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए पाया कि ट्रस्ट को दी गई भूमि का उपयोग शर्तों के अनुरूप नहीं किया गया।

‘KNMT पुराना डिफॉल्टर’

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केएनएमटी को ‘पुराना डिफॉल्टर’ बताते हुए कहा, ‘यूपीएसआईडीसी की तरफ से KNMT को डिफॉल्टर मानना न केवल न्यायसंगत बल्कि ज़रूरी था, ताकि जमीन आवंटन की प्रक्रिया की शुचिता बनी रहे। अगर ऐसे जानबूझकर किए गए डिफॉल्ट को नजरअंदाज किया जाए, तो यह समूचे जमीन वितरण तंत्र को कमजोर कर देगा।

जस्टिस सूर्यकांत ने अपने निर्णय में UPSIDC की आलोचना करते हुए कहा कि उसने सार्वजनिक हित के सिद्धांत का पालन नहीं किया। कोर्ट ने कहा...हालांकि हमने डिफॉल्ट के कारण KNMT का आवंटन रद्द करना सही ठहराया, पर यह भी सामने आया कि मूल आवंटन प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं।

KNMT को 2003 में आवेदन के मात्र दो महीने के भीतर जमीन दे दी गई, जो प्रक्रियागत गंभीरता पर सवाल उठाता है। न्यायालय ने कहा कि जनहित से जुड़े ऐसे आवंटनों से पहले यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि लाभार्थी की योग्यता, सार्वजनिक हितों की पूर्ति, रोजगार सृजन, पर्यावरणीय स्थिरता और क्षेत्रीय विकास के उद्देश्यों को ठीक से मूल्यांकित किया जाए। अदालत ने स्पष्ट किया कि KNMT और पेपर मिल को दी गई जमीनों में इन बातों का कोई मूल्यांकन नहीं किया गया था, इसलिए दोनों आवंटनों को रद्द किया जाता है।

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