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स्टीव जॉब्स का लिखा पत्र 4.32 करोड़ में नीलाम, जानिए उसमें क्या था खास

स्टीव जॉब्स का लिखा पत्र 4.32 करोड़ में नीलाम हुआ है, जिसमें उन्होंने कुंभ मेले के लिए अपनी आध्यात्मिक यात्रा की इच्छा जताई थी।
12:05 PM Jan 15, 2025 IST | Girijansh Gopalan
स्टीव जॉब्स का लिखा पत्र 4.32 करोड़ में नीलाम हुआ है, जिसमें उन्होंने कुंभ मेले के लिए अपनी आध्यात्मिक यात्रा की इच्छा जताई थी।
कुंभ मेले पर स्टीव जॉब्स का पत्र 4 करोड़ रुपये में हुआ नीलाम।

कुंभ मेला 2025, 13 जनवरी से शुरू हो चुका है। अब तक करीब 5 करोड़ से ज्यादा लोग संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। इस धार्मिक महापर्व से जुड़ी एक खास खबर यह है कि एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स का एक पत्र हाल ही में नीलाम हुआ है। यह पत्र करीब 4.32 करोड़ रुपये में बिक गया है, और इस पत्र के अंदर जॉब्स के जीवन का एक बहुत ही दिलचस्प पहलू नजर आता है। क्या था उस पत्र में खास, और क्यों इस पत्र का नीलाम होना इतना अहम है? आइए जानते हैं पूरी कहानी।

स्टीव जॉब्स ने पत्र में क्या लिखा था?

स्टीव जॉब्स के इस हाथ से लिखे पत्र का नीलामी में बिकना इसलिए खास है क्योंकि यह उनका पहला व्यक्तिगत पत्र है, जो सार्वजनिक नीलामी में बेचा गया। यह पत्र स्टीव जॉब्स ने अपने बचपन के दोस्त टिम ब्राउन को लिखा था, और उसमें अपनी आध्यात्मिक यात्रा के बारे में बात की थी। खास बात यह है कि यह पत्र एप्पल के बनने से दो साल पहले, यानी 1974 में लिखा गया था, जब जॉब्स की उम्र 19 साल थी।

इस पत्र के अंदर जॉब्स ने भारत में होने वाले महाकुंभ मेले में जाने की इच्छा जताई थी। उन्होंने लिखा था, "मैं कुंभ मेले के लिए भारत जाना चाहता हूं, जो अप्रैल में शुरू होता है। मैं मार्च में जाने का सोच रहा हूं, लेकिन अभी तक कुछ तय नहीं किया है।" इससे साफ जाहिर होता है कि जॉब्स को भारत और हिंदू धर्म से गहरी रुचि थी और वह अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर विचार कर रहे थे। जॉब्स ने इस पत्र में अपनी भावनाओं को बहुत खूबसूरती से काव्यात्मक तरीके से व्यक्त किया है।

पत्र में जॉब्स ने यह भी लिखा था कि वह कई बार रो चुके हैं और अपनी मानसिक स्थिति को लेकर परेशान थे। यह पत्र उनके इमोशनल और आध्यात्मिक पक्ष को उजागर करता है, जो बहुत कम लोग जानते थे। पत्र के अंत में उन्होंने लिखा था, "शांति, स्टीव जॉब्स" – यह शब्द उनके भीतर के शांति और संतुलन की तलाश को दर्शाते हैं।

 

स्टीव जॉब्स थे बहुत आध्यात्मिक

स्टीव जॉब्स का जीवन सिर्फ तकनीकी इनोवेशन और बिजनेस में ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और गहरे विचारों में भी डूबा हुआ था। उन्होंने हमेशा अपनी आत्मा की तलाश की थी और जीवन के साधारण और गहरे पहलुओं को समझने की कोशिश की थी। यही वजह है कि कुंभ मेला, जो भारत के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में से एक है, उन्हें आकर्षित करता था। वे इसे एक ऐसे अवसर के रूप में देखते थे, जहां वे अपनी आत्मा को ढूंढने और जीवन के बड़े सवालों के जवाब पाने के लिए एक गहरा अनुभव ले सकते थे।

स्टीव जॉब्स की पत्नी, लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी इस समय महाकुंभ में शामिल हैं। वह अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि से मार्गदर्शन प्राप्त कर रही हैं और प्राचीन भारतीय योग और ध्यान की विधियों में भाग ले रही हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, लॉरेन एक 40 सदस्यीय समूह के साथ प्रयागराज पहुंची हैं, जहां वह ध्यान, क्रिया योग और प्राणायाम जैसी आध्यात्मिक प्रथाओं में भाग ले रही हैं। माना जा रहा है कि वह अपने पति स्टीव जॉब्स की इच्छा को पूरा करने के लिए यहां आई हैं, क्योंकि जॉब्स ने हमेशा भारत और हिंदू धर्म को लेकर एक गहरी रुचि जताई थी।

4.32 करोड़ में हुआ नीलाम हुआ लेटर

स्टीव जॉब्स का यह पत्र न केवल उनके जीवन के एक नए पहलू को दर्शाता है, बल्कि यह उनकी गहरी सोच और मानसिक स्थिति को भी उजागर करता है। इस पत्र का नीलामी में बिकना इसलिए भी खास है क्योंकि यह किसी एतिहासिक दस्तावेज़ जैसा है, जो अब तक किसी के पास नहीं था। स्टीव जॉब्स के बारे में जितना हम जानते हैं, वह उनकी तकनीकी सफलता, एप्पल के उत्पादों और उनकी बिजनेस स्ट्रेटजी तक ही सीमित होता है। लेकिन इस पत्र के माध्यम से हमें उनके इमोशनल और आध्यात्मिक पहलू को समझने का मौका मिला।यह पत्र 500,312.50 अमेरिकी डॉलर (करीब 4.32 करोड़ रुपये) में नीलाम हुआ है। इस पत्र की नीलामी ने स्टीव जॉब्स के जीवन के एक व्यक्तिगत और संवेदनशील पहलू को सामने लाया है। यह पत्र न सिर्फ एक कलेक्टर के लिए, बल्कि किसी भी स्टीव जॉब्स के फैन के लिए एक अमूल्य धरोहर बन चुका है।

महाकुंभ पहुंची हैं लॉरेन पॉवेल जॉब्स

लॉरेन पॉवेल जॉब्स, स्टीव जॉब्स की पत्नी, को उनके गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि ने हिंदू धर्म में ‘कमला’ नाम दिया है। इस नाम का महत्व उनके आध्यात्मिक जीवन की दिशा को दर्शाता है। वह महाकुंभ के इस पवित्र आयोजन में ध्यान और योग के अभ्यास के लिए पहुंची हैं, हालांकि भारी भीड़ के कारण उन्हें एलर्जी हो गई है और वह मकर संक्रांति पर संगम में डुबकी नहीं लगा सकीं। बावजूद इसके, वह अपनी आध्यात्मिक यात्रा में पूरी तरह से संलग्न हैं और कुंभ मेले की अद्भुत ऊर्जा का अनुभव करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

क्या स्टीव जॉब्स का जीवन हमें कुछ सिखाता है?

स्टीव जॉब्स का जीवन हमेशा से एक प्रेरणा रहा है। उनका तकनीकी कौशल, उनके उत्पादों का डिज़ाइन और उनके बिजनेस फैसले पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण हैं। लेकिन इस पत्र ने यह भी साबित किया है कि स्टीव जॉब्स का जीवन सिर्फ तकनीकी सफलता तक ही सीमित नहीं था, बल्कि वह एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव की तलाश में भी थे। उनके पत्र में उनकी जीवन की असली खोज और जीवन के गहरे सवालों को समझने की कोशिश झलकती है।

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