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भारत में भगदड़: सात दशकों की अधूरी लड़ाई!, तमाम उपायों के बावजूद नहीं रुकता मौत का सिलसिला

Stampede Safety Tips: हर 54 दिन में एक भगदड़, यह आंकड़ा सिर्फ़ संख्या नहीं बल्कि नाकामी का प्रतीक है। आज़ादी के 75 सालों में 1954 के इलाहाबाद कुंभ से लेकर 2025 के प्रयागराज महाकुंभ तक एक ही कहानी देखने को...
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Stampede Safety Tips: हर 54 दिन में एक भगदड़, यह आंकड़ा सिर्फ़ संख्या नहीं बल्कि नाकामी का प्रतीक है। आज़ादी के 75 सालों में 1954 के इलाहाबाद कुंभ से लेकर 2025 के प्रयागराज महाकुंभ तक एक ही कहानी देखने को मिली है, 2,300 से अधिक मौतें, 3,000 से ज़्यादा घायल, और वही पुराने कारण। भारत में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जहां लाखों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। भले प्रशासन भीड़ नियंत्रण के लिए कितने भी प्रयास करें लेकिन कहीं ना कहीं से दुखद हादसे की खबर सामने आ ही जाती हैं।

Crowd Control Challenges

भारत में धार्मिक स्थलों पर भगदड़ की घटनों में एक और दुखद हादसा देखने को मिला हैं। हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में एक भगदड़ की घटना हुई, जिसमें 6 से 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह घटना हाई-वोल्टेज बिजली के तार गिरने से हुई थी, जिससे अफरा-तफरी मच गई। भारत दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है, फिर भी हम अपने नागरिकों को धार्मिक उत्सवों और सामूहिक आयोजनों में सुरक्षित रखने में असफल क्यों हैं..?

2025 में बड़ी भगदड़:

बता दें अगर इतिहास के पन्नों पर नज़र डाले तो सामूहिक आयोजनों में भगदड़ की सैंकड़ों घटनाओं का जिक्र करना पड़ेगा। अगर बात करें सिर्फ इस साल यानी 2025 के पहले सात महीनों की तो पांच बड़ी भगदड़ की घटनाओं ने देश को हिला दिया।

- हरिद्वार भगदड़ (2025): मनसा देवी मंदिर में भगदड़ में 6-7 श्रद्धालुओं की मौत, 35 से अधिक घायल
- हाथरस भगदड़ (2024): उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक आयोजन में भगदड़ में 100 से अधिक लोगों की मौत
- तिरुपति मंदिर भगदड़ (2025): तिरुपति बालाजी मंदिर में भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत, 40 से अधिक घायल

धार्मिक स्थलों पर भगदड़ का कारण..?

बता दें एक विश्लेषण के मुताबिक भारत में प्रमुख भगदड़ घटनाओं में 92 फीसदी धार्मिक आयोजनों में हुई हैं। इसके पीछे प्रशासन के साथ अपर्याप्त बुनियादी ढांचा सबसे बड़ी समस्या है। देश के धार्मिक स्थल काफी प्राचीन होने के चलते एकल प्रवेश-निकास द्वार, संकरी गलिया से भी भीड़ नियंत्रण में काफी परेशानी उठानी पड़ती हैं। इसके अलावा कई बार कथावाचकों के चलते भी ऐसी बड़ी घटना सामने आई हैं। हाथरस केस में आयोजक ने जानबूझकर भीड़ संख्या छुपाई और प्रशासन को गुमराह किया। ऐसी घटनाएं दिखाती हैं कि आयोजकों पर आपराधिक दायित्व का कानून सख्त नहीं है।

दूसरे देशों में कैसे सफल होते हैं बड़े आयोजन..?

भारत के अलावा कई ऐसे देश हैं जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं, लेकिन वहां भगदड़ जैसी घटना बेहद कम सुनने को मिलती हैं। सऊदी अरब का हज मॉडल अपने आप में भीड़ नियंत्रण के लिए बड़ी मिसाल बना हुआ हैं। साल 2015 में हज यात्रा में भगदड़ से 2,400 से ज्यादा मौत हो गई थी। लेकिन उसके बाद हज यात्रा में अब तक भगदड़ नहीं हुई। उसके पीछे भीड़ नियंत्रण में आधुनिक टेक्नोलॉजी का भी सहारा लिया गया। सऊदी सरकार ने 15,000 AI-पावर्ड कैमरे, RFID रिस्टबैंड, और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स लगाए।

प्रयागराज महाकुंभ का सफल आयोजन

हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में दुनिया की सबसे अधिक भीड़ एकत्रित हुई थी। इस पावन धरा पर करोड़ों भक्तों ने लगातार एक महीने से अधिक समय तक संगम में डुबकी लगाई। प्रयागराज महाकुंभ 2025 में 2,750 कैमरे, 400 AI कैमरेऔर Integrated Command Control Centre (ICCC) लगाए गए। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी तैयारियों का पहले ही जायजा लिया और सभी अधिकारीयों ने भी बखूबी अपनी सेवा दी। जिसके चलते इतना बड़ा आयोजन भगदड़ से बचा रहा।

भगदड़ से बचने के प्रमुख उपाय:

स्मार्ट तकनीक का इस्तेमाल: आज के डिजिटल युग में तकनीकी नवाचार को भीड़ प्रबंधन का एक आवश्यक अंग बनाया जाना चाहिये। स्मार्ट तकनीक का इस्तेमाल न केवल भीड़ की निगरानी और नियंत्रण में मदद करता है, बल्कि यह निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी आसान बनाता है।

स्थलों की योजना और डिज़ाइन: जहाँ भी बड़े आयोजन किये जाते हैं, वहाँ स्थल के डिज़ाइन और संरचना का उपयुक्त होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। आयोजन स्थल पर पर्याप्त निकासी मार्गों की व्यवस्था होनी चाहिये और वहाँ तैनात कर्मियों को स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिये कि आपातकालीन स्थिति में वे किस प्रकार कार्य करें।

ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे: ड्रोन कैमरे और CCTV की मदद से आयोजन स्थल की पूरे समय निगरानी की जा सकती है। यह तकनीक सुरक्षाकर्मियों को समयबद्ध रूप से भीड़ के घनत्व का पता लगाने में मदद करती है, ताकि भीड़ के बढ़ते घनत्व के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

AI डेटा एनालिटिक्स: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डेटा एनालिटिक्स का उपयोग भीड़ की गतिशीलता की रियल-टाइम ट्रैकिंग के लिये किया जा सकता है। इन तकनीकों की मदद से भीड़ के प्रवाह की जानकारी पहले से ही मिल सकती है, जिससे पुलिस और सुरक्षा एजेंसियाँ उचित कार्रवाई कर सकती हैं।

जागरूकता अभियानों का आयोजन: आम लोगों को भीड़ नियंत्रण की महत्ता और आपातकालीन स्थितियों में सही प्रतिक्रिया देने के बारे में जागरूक करने के लिये विशेष अभियान चलाए जाने चाहिये।

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