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श्रीनगर से रवाना हुआ हज का पहला जत्था, दिल में एक ही दुआ– कश्मीर में फिर लौटे सुकून, अमन-चैन हो कायम!

पहलगाम हमले से दुखी पहले हज जत्थे ने श्रीनगर एयरपोर्ट से मक्का रवाना होते हुए कश्मीर की अमन-शांति के लिए दुआ करने की बात कही।
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श्रीनगर के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आज एक अनोखा नजारा दिखा। दरअसल 178 हज यात्रियों का पहला जत्था सऊदी अरब के लिए रवाना हो रहा था, लेकिन उनकी दुआएं कश्मीर के लिए थीं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद बिगड़े हालात के बीच, इन तीर्थयात्रियों ने अपनी यात्रा शुरू करने से पहले घाटी में शांति की गुहार लगाई। एक बुजुर्ग हाजी की आंखों में आंसू थे जब उन्होंने कहा, "मैं दुआ करूंगा कि हमारी आने वाली पीढ़ी शांत कश्मीर देख सके।"

हज यात्रा के साथ शांति की उम्मीद

4 मई को रवाना हुए इस पहले ग्रुप में ज्यादातर बुजुर्ग और महिलाएं शामिल थीं। एयरपोर्ट पर भावुक दृश्य तब उभरा जब परिजनों ने हाजियों को विदाई दी। 65 वर्षीया अफसा बेगम ने बताया कि पहलगाम में जो हुआ, उससे मेरा दिल टूट गया। मैं मक्का में उन पीड़ितों की आत्मा की शांति के लिए दुआ करूंगी।" हाजियों ने प्रशासन की व्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें हर सुविधा मुहैया कराई गई है।

पहलगाम त्रासदी की छाया में हज यात्रा

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे कश्मीर को झकझोर दिया था, जहां 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई। इस घटना के बाद घाटी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। हज यात्रियों के एक समूह ने बताया कि वे सऊदी अरब में हज के दौरान खासतौर पर कश्मीर की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे। एक युवा हाजी आमिर ने कहा, "हम चाहते हैं कि हमारी वापसी पर हमें खुशहाल कश्मीर मिले।"

भारत से 1.75 लाख हाजी पहुंचेंगे सऊदी

इस साल हज के लिए सऊदी अरब सरकार ने भारत को 1,75,025 तीर्थयात्रियों का कोटा आवंटित किया है। 29 अप्रैल को भारत से पहला ग्रुप 262 यात्रियों का सऊदी पहुंचा था। जम्मू-कश्मीर से इस साल करीब 7,000 हाजी हज पर जाएंगे, जिनमें से अधिकांश श्रीनगर और जम्मू से रवाना होंगे। प्रशासन ने सभी हाजियों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं।

हज यात्रियों की क्या हैं अपेक्षाएं?

हवाई अड्डे पर मौजूद 72 वर्षीय हाजी गुलाम नबी ने बताय कि मैं 40 साल से हज की इच्छा लिए जी रहा था। आज जब यह सपना पूरा हो रहा है, तो मेरी एक ही दुआ है कि कश्मीर में चैन का माहौल बने।" कई हाजियों ने अपने साथ कश्मीरी केसर और शॉल ले जाने की योजना बनाई है, जिसे वे सऊदी में अन्य हाजियों को भेंट करेंगे। यह पहली बार है जब पहलगाम हमले के बाद कश्मीर से इतनी बड़ी संख्या में लोग हज के लिए जा रहे हैं, और उनकी आस्था वापसी पर बेहतर हालात की उम्मीद से जुड़ी है।

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