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Sita Navami 2025: शादी में हो रही है देरी, तो सीता नवमी के दिन जरूर करें ये ख़ास उपाय

सीता नवमी, इसे जानकी जयंती या सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यह हर साल वैशाख शुक्ल नवमी को मनाई जाती है।
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Sita Navami 2025

Sita Navami 2025: सीता नवमी, इसे जानकी जयंती या सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है। यह हर साल वैशाख शुक्ल नवमी को मनाई जाती है। इस दिन को माता सीता के जन्म का उत्सव के रूप में मनाया जाता है। माता सीता को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियाँ व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। इस साल, सीता नवमी 5 मई यानी सोमवार को मनाई जायेगी। इस दिन किए गए उपाय बहुत प्रभावशाली माने जाते हैं, खासकर विवाह से संबंधित मामलों में, यदि आप अपनी संतान के विवाह को लेकर चिंतित हैं, तो सीता जयंती के इस पावन अवसर पर आप कुछ उपाय कर सकते हैं।

जरूर करें ये उपाय (Sita Navami 2025)

  • स्वच्छ और बिना फटे हुए लाल रंग के वस्त्र धारण करें। यदि लाल रंग उपलब्ध न हो, तो काले और नीले रंग को छोड़कर कोई भी साफ वस्त्र पहन सकते हैं।
  • एक साबुत और कहीं से भी कटा-फटा न हो, ऐसा पान या पीपल का पत्ता लें और उसे गंगाजल से शुद्ध करें।
  • एक पूरी और साबुत सुपारी लें, जो कहीं से टूटी न हो। इसे भी गंगाजल से पवित्र करें।
  • थोड़ा सिंदूर लेकर उसमें चमेली या सरसों का तेल मिलाकर पतला लेप बना लें।
  • आम के पेड़ की एक छोटी सी कलम लें। उसकी नोक पर हल्का सा लेप लगाकर सुपारी पर छोटे अक्षरों में "शुभ विवाह" लिखें। इसके बाद अपने बच्चे का नाम, गोत्र और उनकी माता का नाम लिखें।
  • ठीक इसी प्रकार, पान के पत्ते पर भी लिखें: "शुभ विवाह", फिर बच्चे का नाम, गोत्र और मां का नाम।
  • अब उस पान के पत्ते पर सुपारी रखें और उसके ऊपर थोड़े से अक्षत (चावल) और हल्दी डालें।
  • इसके बाद, अपने घर के मंदिर में या किसी हनुमान मंदिर में जाकर यह पान का पत्ता उनके चरणों में अर्पित कर दें। वहां पर शुद्ध घी का दीपक जलाएं और अपने बच्चे के शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें।

इस मंत्र का करें जाप

कम से कम 51 बार इस मंत्र का जाप करें: "ॐ श्री जानकी रामाभ्यां नमः"। इस मंत्र का जाप करते समय अपने मन में अपने बच्चे के विवाह की इच्छा, उनका नाम, गोत्र और जन्म से जुड़ी जानकारी का ध्यान करते रहें।

इन बातों का रखें ध्यान

  • इस उपाय को शाम के प्रदोष काल में करें।
  • जब आप यह उपाय कर रहे हों, तो किसी से भी बातचीत न करें।
  • यदि आप यह उपाय घर पर कर रहे हैं, तो बाद में उस पत्ते को पास के हनुमान मंदिर में अवश्य अर्पित करें।

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