'मध्यस्थता की जरूरत नहीं, बात सीधी होनी चाहिए...' सीजफायर पर ट्रंप के बयानों पर शशि थरूर ने बता दी क्या है भारत की सोच
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जोरदार तरीके से पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान सीजफायर में अमेरिकी मध्यस्थता का श्रेय लिया था। थरूर ने साफ किया कि "भारत ने कभी किसी औपचारिक मध्यस्थता की मांग नहीं की, न ही स्वीकार की है।" उन्होंने ट्रंप के बयान को खारिज करते हुए कहा कि "अगर कोई देश फोन करके हमसे बात करता है और हम अपना पक्ष रखते हैं, तो क्या इसे मध्यस्थता कहेंगे? यह तो सिर्फ कूटनीतिक संवाद है!" यह बयान ऐसे समय में आया है जब थरूर के नेतृत्व में एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान के आतंकी रिकॉर्ड को उजागर करने के लिए अमेरिका और लैटिन अमेरिकी देशों के दौरे पर है।
क्या ट्रंप ने बनाई थी सीजफायर की कहानी?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया था कि "अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में मदद की।" लेकिन भारत ने इससे इनकार करते हुए कहा कि सीजफायर दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच सीधी बातचीत का नतीजा था।
थरूर ने इस मुद्दे पर और स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि"हमारी सरकार का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है। हम किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते। अगर कोई देश चिंता जताता है, तो हम उन्हें अपना पक्ष बताते हैं, लेकिन यह मध्यस्थता नहीं है।" उन्होंने यह भी याद दिलाया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले ही कहा था कि "भारत-पाक मुद्दों पर किसी बाहरी हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है।"
थरूर की टीम कैसे पाकिस्तान का पोल खोलेगी?
शशि थरूर के नेतृत्व में एक बहु-पार्टीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया के दौरे पर है। इस दल में BJP, शिवसेना, TDP, JMM और LJP जैसी विभिन्न पार्टियों के सांसद शामिल हैं। थरूर ने बताया कि इस मिशन का मकसद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के "आतंकी नेटवर्क" से अवगत कराना है।
उन्होंने कहा कि हम वहां भारत का एकजुट रुख पेश करेंगे। यह जरूरी है कि दुनिया जाने कि पाकिस्तान किस तरह आतंकवाद को बढ़ावा देता है।" इससे पहले, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए कहा था कि "आतंक का पोषक देश नागरिक सुरक्षा की बात नहीं कर सकता।"
क्या कांग्रेस और BJP एक मंच पर?
जब थरूर से पूछा गया कि क्या कांग्रेस और BJP के बीच मतभेद इस विदेश यात्रा को प्रभावित करेंगे, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि "जब हम अंतरराष्ट्रीय मंच पर होते हैं, तो हम देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, न कि किसी पार्टी का।" उन्होंने आगे कहा कि "सरकार ने हमें जो ब्रीफिंग दी, उसका उद्देश्य यही था कि सभी सांसद एक साझा एजेंडा के साथ आगे बढ़ें।" थरूर ने यह भी जोड़ा कि "घरेलू राजनीति की बहस संसद में होनी चाहिए, न कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर।"
क्या भारत की इस कूटनीति से पाक होगा अलग-थलग?
शशि थरूर की अगुवाई में यह संसदीय प्रतिनिधिमंडल भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर शर्मसार करना शामिल है। ट्रंप के मध्यस्थता के दावों को खारिज करना और पाकिस्तान के आतंकी रिकॉर्ड को उजागर करना..दोनों ही कदम इस बात का संकेत हैं कि भारत अब पुरानी रणनीति से आगे बढ़ चुका है। सवाल यह है कि क्या अमेरिका और लैटिन अमेरिकी देश पाकिस्तान पर दबाव बनाएंगे? या फिर पाकिस्तान एक बार फिर अपने "विक्टिम कार्ड" का इस्तेमाल करके बच निकलेगा? एक बात तय है कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा!
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