Sharmistha Panauli Controversy: कितना गंभीर है यह मामला और क्यों एक सोशल मीडिया पोस्ट ने बना दिया शर्मिष्ठा को 'राष्ट्रीय अपराधी'?
पश्चिम बंगाल पुलिस ने 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को ऑपरेशन सिंदूर पर एक विवादित पोस्ट के लिए गुरुग्राम से गिरफ्तार कर कोलकाता ले आई। यह मामला अब सवालों के घेरे में है कि क्या धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में एक युवती की गिरफ्तारी उचित है, जिसने पोस्ट डिलीट कर माफी भी मांग ली थी? क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है या फिर कानून का सही पालन? वकीलों से लेकर राजनेताओं तक में इस मामले को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है।
IPC की किन धाराओं में फंसी शर्मिष्ठा?
शर्मिष्ठा के खिलाफ FIR में IPC की चार गंभीर धाराएं लगाई गई हैं:
- धारा 196(1)(ए): दो समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाने का आरोप - अधिकतम 5 साल की सजा
- धारा 299: धार्मिक भावनाएं आहत करना - 3 साल की कैद
- धारा 352: शांति भंग करने का इरादा - 2 साल की सजा
- धारा 353(1)(सी): भड़काऊ बयान - 3 साल की कैद
सुप्रीम कोर्ट के वकील शुभम गुप्ता के मुताबिक, धारा 196 और 299 गंभीर हैं, लेकिन अदालत को यह साबित करना होगा कि उसका इरादा सामुदायिक तनाव फैलाना था। माफी और पोस्ट हटाने से केस कमजोर हो सकता है।
क्या इस मामले में गिरफ्तारी जरूरी थी?
शर्मिष्ठा के वकील शमीमुद्दीन का दावा है कि पुलिस ने कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन किया है। वहीं कानूनी विशेषज्ञों का एक वर्ग मानता है कि यह केवल एक सोशल मीडिया पोस्ट थी, जिस पर तुरंत माफी मिल जानी चाहिए थी। वहीं, दूसरे समूह का तर्क है कि बंगाल में सामुदायिक स्थिति को देखते हुए पुलिस कार्रवाई जरूरी थी।
मामले पर कंगना से लेकर कल्याण तक, किसने क्या कहा?
कंगना रनौत (BJP): माफी के बाद भी गिरफ्तारी समझ से बाहर है । उसे जेल में डालना, उसे प्रताड़ित करना, उसका करियर खत्म करना और उसके चरित्र पर सवाल उठाना बहुत गलत है। किसी भी बेटी के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। क्या ममता बनर्जी के नेताओं के हिंदू विरोधी बयानों पर भी ऐसी कार्रवाई होगी?
#WATCH | Delhi: On the arrest of Sharmistha Panoli from Gurugram by Kolkata Police for allegedly hurting religious sentiments through her comments on social media, actor Kangana Ranaut says, "Harassing someone in the name of law and order is not good. When someone has apologised… pic.twitter.com/SEtPALH9lH
— ANI (@ANI) June 1, 2025
पवन कल्याण (आंध्र प्रदेश डिप्टी CM): इस मामले पर कल्याण का कहना है कि "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, शर्मिष्ठा ने अपनी बात रखी, उनके शब्द कुछ लोगों को आहत करने वाले थे। उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की, वीडियो डिलीट किया और माफी मांगी। पश्चिम बंगाल पुलिस ने शर्मिष्ठा के खिलाफ तत्काल ऐक्शन लिया।"
During Operation Sindoor, Sharmistha, a law student, spoke out, her words regrettable and hurtful to some. She owned her mistake, deleted the video and apologized. The WB Police swiftly acted, taking action against Sharmistha.
But what about the deep, searing pain inflicted… pic.twitter.com/YBotf34YYe
— Pawan Kalyan (@PawanKalyan) May 31, 2025
कार्ति चिदंबरम (कांग्रेस): कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने इस मामले को लेकर कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट के लिए ये अंतरराज्यीय गिरफ्तारियां, जब तक कि यह साफ न हो जाए कि इससे कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है, तब तक यह साफ तौर पर पुलिस शक्तियों का दुरुपयोग है।
These interstate arrests for social media posts (unless it’s clearly demonstrated that it has lead to a law & order situation) is blatantly a misuse of police powers. https://t.co/Dt02Dffpn0
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) May 31, 2025
क्या यह केस बनेगा भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का टर्निंग प्वाइंट?
शर्मिष्ठा पनोली मामला अब सिर्फ एक साधारण गिरफ्तारी तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह भारत में अभिव्यक्ति की सीमाओं, सोशल मीडिया रेगुलेशन और राजनीतिक दुरुपयोग पर बहस को गहरा देगा। जहां एक तरफ कानून अपना काम कर रहा है, वहीं सवाल यह भी है कि क्या एक युवा छात्रा का करियर एक पोस्ट की भेंट चढ़ जाएगा? अदालत का अगला फैसला न सिर्फ शर्मिष्ठा बल्कि भारत के डिजिटल अभिव्यक्ति के भविष्य का रास्ता तय करेगा।
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