इमरजेंसी के 50 साल: PM मोदी बोले- लोकतांत्रिक इतिहास के काले अध्यायों में से एक आपातकाल
Samvidhan Hatya Diwas: आज देश में आपातकाल के 50 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी डायरीज में आपातकाल के दौरान की अपनी यात्रा के बारे में विस्तार से बताया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने अपील की है कि जो लोग आपातकाल के उन काले दिनों (Samvidhan Hatya Diwas) को याद करते हैं या जिनके परिवारों ने उस दौरान कष्ट झेले हैं, वे अपने अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करें। इससे युवाओं में 1975 से 1977 तक के शर्मनाक समय के बारे में जागरूकता पैदा होगी।
इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर PM मोदी की जनता से अपील
इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी डायरी के जरिए आपातकाल के समय को याद किया है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है. "जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को फिर से पुष्ट किया। साथ ही, मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे खुशी है कि ब्लू क्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन (PM Narendra Modi Emergency Diaries) ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है, जिसकी प्रस्तावना श्री एच.डी. देवेगौड़ा जी ने लिखी है, जो खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे।"
इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर क्या बोले PM मोदी?
संविधान हत्या दिवस मनाते हुए पीएम मोदी ने कहा है, हम अपने संविधान में निहित सिद्धांतों को मजबूत करने तथा विकसित भारत के अपने सपने को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता (PM Narendra modi on Emergency) को भी दोहराते हैं। हम प्रगति की नई ऊंचाइयों को छुएं तथा गरीबों और वंचितों के सपनों को पूरा करें।
लोकतांत्रिक इतिहास के काले अध्यायों में से एक इमरजेंसी: PM मोदी
इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर बीजेपी संविधान हत्या दिवस (Indira Gandhi Emergency) मना रही है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, "आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं। भारत के लोग इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन, भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की स्वतंत्रता को खत्म कर दिया गया और कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया। ऐसा लग रहा था जैसे उस समय सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बना लिया था!"
इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर कांग्रेस पर बरसे प्रधानमंत्री
हम आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं! ये पूरे भारत से, हर क्षेत्र से, अलग-अलग विचारधाराओं से आए लोग थे जिन्होंने एक ही उद्देश्य से एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया: भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया। यह उनका सामूहिक संघर्ष ही था जिसने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे बुरी तरह हार गए।
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