RCB की जीत का जश्न मातम में बदला! चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुई भगदड़ में 11 मौतों का जिम्मेदार आखिर कौन?
क्रिकेट के जुनून ने जब दीवानगी का रूप लिया, तो बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर खेला गया खूनी खेल इतिहास के काले पन्नों में दर्ज हो गया। IPL के 18 साल के सफर में पहली बार ट्रॉफी जीतने वाली RCB की जीत का जश्न मातम में बदल गया, जब स्टेडियम के गेट नंबर 2, 6 और 17 पर मची भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई। ये वही फैंस थे, जो विराट कोहली के लिए जीते-मरते थे, लेकिन आज उनके ही सितारों के सामने उनकी सांसें थम गईं। जब स्टेडियम के अंदर खिलाड़ी ट्रॉफी उठा रहे थे, बाहर CPR के लिए तरसते लोगों के शवों को एम्बुलेंस में भरा जा रहा था। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और भीड़ प्रबंधन की विफलता का काला अध्याय है।
भगदड़ में कौन-कौन चला गया मौत के मुंह में?
बेंगलुरु के अस्पतालों में पड़े शवों की लिस्ट देखकर रूह कांप उठती है। बावरिंग अस्पताल में 13 साल की दिव्यांशी, 26 साल की दिया और 21 साल के श्रवण समेत 6 लाशें पहुंचीं। वायदेही अस्पताल में 20 साल के भूमिक और 19 साल की साहना के शव थे, तो मणिपाल अस्पताल में 19 साल की चिन्मयी की लाश लाश लेटी थी।
ये सभी वो मासूम चेहरे थे, जो RCB के लिए जिंदगी भर का सपना लेकर चिन्नास्वामी पहुंचे थे। लेकिन जब स्टेडियम का नाला ढहा और पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू किया, तो यह भीड़ उनकी कब्र बन गई। 18 घायल अभी भी अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह हादसा हुआ क्यों?
पांच वजहें जिसके चलते हुआ हादसा
इस त्रासदी की जड़ें प्रशासन की लापरवाही में छिपी हैं। पहली गलती तब हुई, जब RCB ने स्टेडियम में एंट्री के लिए फ्री पास जारी किए। वेबसाइट क्रैश होने के बाद बिना पास वाले हजारों लोग स्टेडियम पहुंच गए। दूसरी गलती थी भीड़ का अनुमान न लगा पाना—स्टेडियम की क्षमता 35,000 थी, लेकिन 3 लाख लोग जमा हो गए। तीसरा कारण था नाले का स्लैब गिरना, जिससे भगदड़ शुरू हुई। चौथी वजह थी पुलिस का लाठीचार्ज, जिसने हालात को और बिगाड़ दिया। पांचवां कारण था हल्की बारिश, जिसमें भागती भीड़ ने खुद को नाले में पाया। सवाल यह है कि क्या 5,000 सुरक्षाकर्मी इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे?
क्या शासन–प्रशासन की रही लापरवाही?
सबसे दुखद पहलू यह था कि जब स्टेडियम के बाहर लोग दम तोड़ रहे थे, अंदर RCB का जश्न जारी था। क्या खिलाड़ियों और आयोजकों को इस हादसे की जानकारी नहीं थी? अगर थी, तो कार्यक्रम रोका क्यों नहीं गया? RCB ने बयान जारी कर शोक जताया, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री DK शिवकुमार ने माफी मांगी, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इसे कुंभ मेले की भगदड़ से जोड़ दिया। क्या यह सियासी बयानबाजी नहीं है? जिन 11 लोगों की जान गई, उनके परिवारों के लिए यह माफी या तुलना किस काम की?
कौन लेगा 11 मौतों की जिम्मेदारी?
इस हादसे की जिम्मेदारी सिर्फ भीड़ या बारिश पर नहीं मढ़ी जा सकती। RCB की फ्री पास व्यवस्था, पुलिस का भीड़ प्रबंधन और प्रशासन की निष्क्रियता—सभी इसके लिए जिम्मेदार हैं। क्या अब तक किसी अधिकारी का इस्तीफा हुआ है? क्या पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया गया है? क्या भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए बेहतर योजना बनाई जाएगी? ये सवाल तब तक जिंदा रहेंगे, जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती। आज 11 लाशें सवाल पूछ रही हैं कि क्या क्रिकेट के जुनून की कीमत जान से ज्यादा है?
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