Thursday, June 12, 2025
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रतन टाटा की वसीयत: 7,900 करोड़ की संपत्ति का कौन होगा मालिक?

रतन टाटा की वसीयत में उनके करीबी मित्र मेहली मिस्त्री, सौतेली बहनें शिरीन और डायना जेजीभॉय और वकील दारायस खंबाटा का नाम शामिल है।
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रतन टाटा की वसीयत

हाल ही में भारत के प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा का निधन हुआ, जिससे उनके 7,900 करोड़ रुपये की संपत्ति को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। अगस्त 2023 में हुरुन इंडिया रिच लिस्ट में टाटा की संपत्ति को लगभग 10,000 करोड़ रुपये के आसपास आंका गया था। उनका टाटा संस में 0.83% हिस्सेदारी होने के कारण ये आंकड़े सामने आए हैं। रतन टाटा की वसीयत में चार प्रमुख नाम शामिल हैं, जो उनके जीवन के प्रति उनकी सोच और परोपकारी दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

वसीयत में शामिल चार नाम

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, रतन टाटा ने अपनी वसीयत में अपनी सौतेली बहनें शिरीन और डायना जेजीभॉय, वकील दारायस खंबाटा और घनिष्ठ मित्र मेहली मिस्त्री का नाम शामिल किया है। हालांकि, वसीयत के बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि टाटा की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा चैरिटी के लिए समर्पित किया जाएगा।

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कौन हैं शिरीन और डायना जेजीभॉय?

शिरीन और डायना जेजीभॉय, रतन टाटा की मां सूनू की सर जमशेदजी जेजीभॉय से दूसरी शादी से पैदा हुई बेटियां हैं। ये दोनों बहनें हमेशा से परोपकारी कार्यों में सक्रिय रही हैं। डायना ने 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में ट्रस्टी के रूप में भी काम किया था। एक पूर्व टाटा अधिकारी के अनुसार, रतन टाटा और उनकी छोटी बहनों के बीच बहुत करीबी रिश्ता था।

कौन हैं मेहली मिस्त्री?

मेहली मिस्त्री, जो रतन टाटा के करीबी मित्र थे, टाटा ट्रस्ट के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे हैं। टाटा ट्रस्ट टाटा संस का 52% हिस्सा रखता है और यह सामाजिक और परोपकारी गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेहली मिस्त्री ने टाटा चैरिटी के दो प्रमुख ट्रस्टों—सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट—के बोर्ड में ट्रस्टी के रूप में कार्य किया है। ये दोनों ट्रस्ट टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी, टाटा संस, का लगभग 52% हिस्सा रखते हैं। कुल मिलाकर, टाटा ट्रस्ट टाटा संस में 66% हिस्सेदारी के मालिक हैं। यह दर्शाता है कि मेहली मिस्त्री और इन ट्रस्टों का टाटा समूह में एक महत्वपूर्ण भूमिका है, जो समाज सेवा और परोपकार के लिए समर्पित है।

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वकील दारायस खंबाटा ने क्या कहा?

रतन टाटा की वसीयत को लेकर वकील दारायस खंबाटा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने न तो वसीयत का ड्राफ्ट तैयार किया था और न ही इस पर कोई सलाह दी थी। उनका कहना है कि वे रतन टाटा की वसीयत को पहली बार उनके निधन के बाद ही देख पाए। वसीयत के एग्जीक्यूटर की जिम्मेदारी है कि वे रतन टाटा की अंतिम इच्छाओं का पालन सुनिश्चित करें। यह वसीयत इस बात का प्रमाण है कि रतन टाटा ने हमेशा परोपकार को प्राथमिकता दी।

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