चीन ने रोका जमीन का खजाना, भारत में कितना है इसका माल?
चीन ने हाल ही में रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REE) के निर्यात पर रोक लगा दी है। ये वो खास धातुएं हैं, जिनके बिना स्मार्टफोन, हथियार, इलेक्ट्रिक गाड़ियां और ढेर सारी हाई-टेक चीजें बनाना मुश्किल है। चीन का ये फैसला अमेरिका के साथ चल रही ट्रेड वॉर के बीच आया है, जिससे दुनिया भर के कई देशों की टेंशन बढ़ गई है। आखिर क्यों? क्योंकि रेयर अर्थ एलिमेंट्स का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर चीन ही है। अब इसकाTg निर्यात रुकने से कई देशों के प्रोजेक्ट्स पर ब्रेक लग सकता है, खासकर अमेरिका के डिफेंस प्रोडक्ट्स को तो बड़ा झटका लगेगा। लेकिन सवाल ये है कि भारत इस मामले में कहां खड़ा है? आइए, आपको बताते हैं कि रेयर अर्थ एलिमेंट्स क्या हैं, इनका इस्तेमाल कहां होता है और भारत में इनका प्रोडक्शन कितना है।
रेयर अर्थ एलिमेंट्स क्या बला है?
रेयर अर्थ एलिमेंट्स, जिन्हें लोग REE या दुर्लभ पृथ्वी खनिज भी कहते हैं, 17 खास तरह के तत्वों का ग्रुप है। इनके नाम हैं- स्कैंडियम, येट्रियल, लैंथेनम, सेरियम, प्रजोडायमियम, नियोडिमियम, प्रोमेथियम, सैमेरियम, यूरोपियम, गैडोलीनियम, टर्बियम, डिस्प्रोसियम, होल्मियम, एर्बियम, थ्यूलियम, येटरबियम और ल्यूटेटियम। अब इनके नाम सुनकर दिमाग चकरा गया ना? लेकिन ये इतने दुर्लभ नहीं हैं, जितना इनका नाम बताता है। ये धरती की पपड़ी में खूब मिलते हैं, पर इन्हें निकालना और प्रोसेस करना बड़ा झंझट वाला काम है।
इनका इस्तेमाल कहां-कहां?
ये रेयर अर्थ एलिमेंट्स हर उस चीज में यूज होते हैं, जो मॉडर्न लाइफ का हिस्सा है। स्मार्टफोन, मिलिट्री गैजेट्स, हथियार, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, पवन टर्बाइन, प्लेन के इंजन, तेल रिफाइनिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल इक्विपमेंट- सबमें इनकी जरूरत पड़ती है। यानी, अगर ये न हों, तो हमारी हाई-टेक दुनिया थम सी जाए!
भारत का नंबर कितना?
अब आते हैं असली सवाल पर- रेयर अर्थ एलिमेंट्स के प्रोडक्शन में भारत का रैंक क्या है? तो सुनो, भारत इस मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। पहले नंबर पर चीन, दूसरे पर अमेरिका और तीसरे पर हमारा इंडिया! एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के पास 6.9 मिलियन मीट्रिक टन का रेयर अर्थ एलिमेंट्स का भंडार है। ये खजाना खासकर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा और केरल जैसे राज्यों में छिपा है।
दुनिया के कई देश परेशान
चीन की इस रोक से जहां दुनिया के कई देश परेशान हैं, वहीं भारत के लिए ये मौका भी हो सकता है। अपने भंडार का सही इस्तेमाल करके भारत इस फील्ड में और बड़ा प्लेयर बन सकता है।
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