'ऑपरेशन सिंदूर 2.0' की तैयारी? NSA डोभाल की चुपचाप मुलाकात से मची सियासी हलचल
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच दिल्ली में हलचल तेज हो गई है। बुधवार रात भारतीय सेना ने एक बार फिर साहसिक कदम उठाते हुए पाकिस्तान और POK (पाक अधिकृत कश्मीर) में आतंकियों के 9 ठिकानों को निशाना बनाया। इस सैन्य कार्रवाई के बाद गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसमें राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई। इस बैठक से पहले एक अहम घटनाक्रम देखने को मिला—राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल प्रधानमंत्री आवास पहुंचे। उनकी यह चुपचाप और अचानक मुलाकात कई संभावनाओं के दरवाजे खोलती दिख रही है। क्या भारत फिर से एक और 'ऑपरेशन सिंदूर' की योजना बना रहा है?
सेना की निर्णायक कार्रवाई और अगला कदम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार आतंक के खिलाफ एक और बड़ा एक्शन लेने के मूड में है। पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह तेज़ी से जवाब दिया है, उससे साफ है कि यह सिर्फ शुरुआत है। बताया जा रहा है कि सेना ने जिन 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया है, उनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे खतरनाक संगठनों के अड्डे शामिल हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि सीमावर्ती इलाकों में मौजूद आतंकी नेटवर्क को पूरी तरह खत्म किए बिना जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति संभव नहीं। ऐसे में आने वाले दिनों में और बड़ी कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।
सर्वदलीय बैठक में दिखा राष्ट्रीय एकजुटता का संदेश
प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के शीर्ष नेता शामिल हुए। सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मौजूद रहे। वहीं विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने शिरकत की। तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय, द्रमुक के टीआर बालू, सपा के रामगोपाल यादव, आप के संजय सिंह, शिवसेना (उद्धव गुट) के संजय राउत और एनसीपी (शरद पवार गुट) की सुप्रिया सुले भी बैठक का हिस्सा बने। बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने यह स्पष्ट किया कि सरकार सभी दलों को 'ऑपरेशन सिंदूर' और उससे जुड़ी रणनीतियों की पूरी जानकारी देना चाहती है।
'ऑपरेशन सिंदूर' क्यों है खास?
पहलगाम में 26 नागरिकों की निर्मम हत्या के दो हफ्ते बाद भारतीय सेना का यह पलटवार सामने आया है। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की बदलती रणनीति और मंशा का संकेत है। इस ऑपरेशन में आतंकियों के अड्डों पर मिसाइल हमले किए गए—जिनमें जैश का गढ़ बहावलपुर और लश्कर का अड्डा मुरीदके जैसे स्थान प्रमुख रहे। सूत्रों की मानें तो यह सिर्फ पहला कदम है और अब सरकार आतंक के खिलाफ एक दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है, जिसमें 'ऑपरेशन सिंदूर 2.0' का अगला अध्याय जल्द सामने आ सकता है।
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