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पीओके को बिना जंग के वापस लेना नामुमकिन? आखिर कहां अटका है पेच!

पीओके भारत का हिस्सा है, लेकिन पाकिस्तान के कब्जे में है। बिना जंग के इसे वापस लेना क्यों नामुमकिन है? जानिए पीओके के मसले की पूरी कहानी।
09:51 PM May 09, 2025 IST | Girijansh Gopalan
पीओके भारत का हिस्सा है, लेकिन पाकिस्तान के कब्जे में है। बिना जंग के इसे वापस लेना क्यों नामुमकिन है? जानिए पीओके के मसले की पूरी कहानी।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी चरम पर है। 8 मई की रात पाकिस्तान ने राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के कई शहरों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर दिया। लेकिन भारत ने न सिर्फ इसका करारा जवाब दिया, बल्कि पाकिस्तान के कई शहरों पर भी हमले किए। अब पड़ोसी मुल्क की हालत पतली है और वो गिड़गिड़ाने की कगार पर है। भारत की थल, जल और वायुसेना दुश्मन को सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। इस बीच देशवासियों का एक ही सवाल है - अब तो पीओके को वापस लेकर भारत में मिलाने का वक्त आ गया है! पीओके भारत का हिस्सा है, जिसे पाकिस्तान जबरन अपना बताता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या बिना जंग के पीओके को वापस लिया जा सकता है? आइए, समझते हैं पूरा मसला।

पीओके के दो हिस्से, जान लो पहले

सबसे पहले पीओके की बेसिक जानकारी। पीओके दो हिस्सों में बंटा है। पहला हिस्सा है गिलगिट-बाल्टिस्तान, जो 64,817 वर्ग किलोमीटर में फैला है। दूसरा हिस्सा है खुद पीओके, जो 13,297 वर्ग किलोमीटर में है। आजादी से पहले जम्मू-कश्मीर के राजा हरि सिंह थे। उस वक्त ज्यादा टैक्स की वजह से वहां के मुस्लिम समुदाय ने राजा का विरोध शुरू कर दिया था। राजा और प्रजा के बीच तनाव चरम पर था। 1947 में जब भारत आजाद हुआ, तो पाकिस्तान को लगने लगा कि कश्मीर उसका हक है।

 

कैसे हुआ पीओके पर कब्जा?

पाकिस्तान की इस सोच की वजह से पश्तूनी कश्मीर में घुस आए। राजा हरि सिंह डर गए और सरदार वल्लभभाई पटेल के पास मदद मांगने पहुंचे। सरदार पटेल ने कहा, "हमसे मिल जाओ, हम सेना भेजकर पाकिस्तानियों को खदेड़ देंगे।" इसके बाद राजा ने इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर साइन किए। भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों को जम्मू-कश्मीर के बॉर्डर तक खदेड़ दिया। लेकिन तब तक पंडित जवाहरलाल नेहरू संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के पास पहुंच गए। यूएन ने एक प्रस्ताव पास किया कि दोनों पक्ष जहां हैं, वहीं रुक जाएं। पाकिस्तान तो मान गया, लेकिन भारत ने शर्त रखी कि जब तक पाकिस्तानी हमारी जमीन खाली नहीं करते, तब तक कोई जनमत संग्रह नहीं होगा।

बिना जंग के पीओके वापसी क्यों मुश्किल?

पीओके को बिना जंग के वापस लेना आसान नहीं है। ये एक पेचीदा अंतरराष्ट्रीय मसला है, जिसे सिर्फ ताकत से हल नहीं किया जा सकता। पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है, लेकिन पाकिस्तान ने इस पर कब्जा कर रखा है। इसे वापस लेने के लिए जंग आखिरी रास्ता है, लेकिन जंग से दोनों देशों को भारी आर्थिक और सामाजिक नुकसान होगा। संयुक्त राष्ट्र इस मामले में मध्यस्थ की भूमिका निभाता है, लेकिन उसकी कोशिशें अब तक नाकाम रही हैं।

 

जंग ही आखिरी रास्ता?

यूएन ने कई बार भारत और पाकिस्तान के बीच इस मसले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन कोई हल नहीं निकला। पाकिस्तान ने पीओके पर कब्जा जमाया हुआ है। इसे वापस लेने का एकमात्र रास्ता जंग है, क्योंकि पाकिस्तान खुद कभी इसे छोड़ेगा नहीं। बिना जंग के पीओके तभी वापस मिल सकता है, अगर पाकिस्तान खुद इसे सौंप दे - और ये होने की उम्मीद न के बराबर है।

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