संसद के मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर से लेकर जस्टिस वर्मा तक...किन मोर्चों पर सरकार-विपक्ष के भिड़ने के आसार?
21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में तूफान आने वाला है। मोदी सरकार 3.0 का यह पहला संसद सत्र होगा, जहां ऑपरेशन सिंदूर से लेकर जस्टिस वर्मा के महाभियोग तक हर मुद्दे पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने होंगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सत्र की तारीखों का ऐलान करते हुए साफ किया कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष की "स्पेशल सेशन" की मांग को खारिज कर दिया है। अब सवाल यह है कि क्या विपक्ष इस सत्र को हंगामे की भेंट चढ़ा देगा या फिर सरकार अपने रुख पर अडिग रहेगी?
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार को घेरेगा विपक्ष?
विपक्ष लगातार ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने पाकिस्तान के साथ अचानक संघर्ष विराम क्यों किया? राफेल विमान के गिरने के दावों पर क्यों चुप्पी साधी हुई है? सरकार ने इन सवालों का जवाब देने के बजाय विपक्ष की स्पेशल सेशन की मांग को नकार दिया है, जिससे तनाव और बढ़ गया है।
#WATCH | Delhi: On Impeachment Motion against Delhi HC judge Justice Yashwant Varma, Parliamentary Affairs Minister Kiren Rijiju says, "The impeachment motion against Justice Yashwant Varma is a matter related to the corruption in the judiciary. So, there is no scope for any… pic.twitter.com/AD1cslCiG2
— ANI (@ANI) June 4, 2025
अब मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर जबरदस्त बहस होने की उम्मीद है, लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार सेना की रणनीति को सार्वजनिक करेगी या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर मुद्दे को दबाने की कोशिश करेगी?
क्या जस्टिस वर्मा पर लाया जाएगा महाभियोग?
मानसून सत्र का सबसे विवादित मुद्दा इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव होगा। सरकार ने साफ कर दिया है कि सत्र के पहले हफ्ते में ही यह प्रस्ताव लाया जाएगा। हालांकि, विपक्ष ने भी राज्यसभा में जस्टिस यादव के महाभियोग प्रस्ताव को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं। सरकार का कहना है कि यह मामला राज्यसभा के सभापति के पास लंबित है, लेकिन विपक्ष इसे सरकार की "दोहरी नीति" बता रहा है। अब देखना यह है कि क्या जस्टिस वर्मा का महाभियोग सरकार के लिए आसान होगा या फिर विपक्ष इसे लेकर सदन को ठप्प कर देगा?
क्या बजट के बाद अब अर्थव्यवस्था पर होगी बहस?
मानसून सत्र में सरकार की प्राथमिकताओं में अर्थव्यवस्था और कई महत्वपूर्ण विधेयक भी शामिल हैं। पिछले सत्र में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश किया था, लेकिन इस बार सरकार आर्थिक सुधारों और रोजगार सृजन जैसे मुद्दों पर जोर दे सकती है। हालांकि, विपक्ष ने बेरोजगारी और महंगाई को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। सवाल यह है कि क्या सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब देगी या फिर संख्याबल के दम पर उन्हें दबाने की कोशिश करेगी?
क्या यह सत्र भी चढ़ जाएगा हंगामे की भेंट?
मानसून सत्र न सिर्फ सरकार बल्कि देश के लिए भी एक बड़ी परीक्षा होगी। एक तरफ जहां ऑपरेशन सिंदूर और जस्टिस वर्मा जैसे मुद्दों पर सरकार को अपना पक्ष रखना होगा, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष को यह साबित करना होगा कि वह सिर्फ हंगामा करने नहीं बल्कि सार्थक बहस करने आया है। अगर सरकार और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने रुख पर अड़े रहे, तो यह सत्र बिना किसी नतीजे के समाप्त हो सकता है। फिलहाल, देश की नजरें 21 जुलाई पर टिकी हैं, जब संसद के तख्तों पर एक बार फिर लोकतंत्र की लड़ाई शुरू होगी।
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