कश्मीर में 17 साल से छुपा बैठा था पाकिस्तान का 'ओसामा'! आधार से लेकर वोटर ID तक सब बना डाला… अब हुआ बड़ा खुलासा!
जम्मू-कश्मीर की घाटियों में एक ऐसा 'कश्मीरी' 17 साल से रह रहा था जिसका नाम था ओसामा, लेकिन असलियत थी पाकिस्तान के रावलपिंडी की। भारत सरकार के सख्त फैसले ने जब पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजना शुरू किया, तो यह चौंकाने वाला मामला सामने आया कि एक पाकिस्तानी नागरिक ने न सिर्फ भारत का आधार कार्ड बनवा लिया था, बल्कि वोटर आईडी से लेकर राशन कार्ड तक हासिल कर लिया था। अब जब यह 'कश्मीरी ओसामा' अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान लौट रहा है, तो उसके पीछे छूट गया है एक ऐसा सच जो भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर देता है।
कैसे बनबा लिए भारतीय दस्तावेज?
ओसामा नाम का यह पाकिस्तानी नागरिक 2008 में भारत आया था और फिर कभी वापस नहीं गया। उसने कश्मीर में रहकर न सिर्फ 10वीं-12वीं की पढ़ाई की, बल्कि कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन तक कर लिया। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि उसने भारतीय होने का पूरा ढोंग रच लिया था - आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज हासिल कर लिए थे।
सवाल यह है कि बिना किसी वैध पहचान के यह पाकिस्तानी नागरिक इतने सालों तक भारत में कैसे रह सका? क्या कश्मीर के स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी? या फिर कोई सिस्टम ही फेल हो चुका है?
"मैं यहाँ 17 साल से हूँ, अब पाकिस्तान जाकर क्या करूँगा?
अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान लौटते समय ओसामा ने मीडिया से बात की तो उसकी आँखों में निराशा साफ झलक रही थी। उसने बताया कि वह जून में अपनी ग्रेजुएशन की फाइनल परीक्षा देने वाला था और नौकरी के इंटरव्यू की तैयारी कर रहा था। "मैंने यहाँ वोट डाला है, राशन कार्ड है। पहलगाम हमले की निंदा करता हूँ, लेकिन मुझे क्यों भेजा जा रहा है?" उसका यह सवाल भारत की व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। ओसामा ने यह भी बताया कि उसने 2008 में 15 दिन के वीजा पर भारत में प्रवेश किया था, लेकिन फिर वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी वह यहीं रहता रहा।
क्या कश्मीर में और छिपे हैं ऐसे 'ओसामा'?
ओसामा का मामला सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा व्यवस्था में एक बड़ी चूक को उजागर करता है। अगर एक पाकिस्तानी नागरिक 17 साल तक बिना किसी रोक-टोक के भारत में रह सकता है, आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज हासिल कर सकता है, तो यह सवाल तो बनता ही है कि क्या कश्मीर में या देश के अन्य हिस्सों में ऐसे और भी 'ओसामा' मौजूद हैं? पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने जिस तरह से पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए हैं, उससे ऐसे कई मामले सामने आ सकते हैं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस गंभीर मामले पर कोई ठोस कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?
कैसे रुकेगा दस्तावेजों का यह खेल?
ओसामा के मामले ने भारत के दस्तावेजी सिस्टम की एक बड़ी कमजोरी को उजागर कर दिया है। अब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह कैसे सुनिश्चित करे कि भविष्य में कोई विदेशी नागरिक भारतीय दस्तावेज हासिल न कर सके। इसके लिए आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों की पात्रता को और सख्त बनाने की जरूरत है। साथ ही, राज्यों के स्थानीय प्रशासन को भी अधिक जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता है। ओसामा जैसे मामले न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि देश की संप्रभुता पर भी सवाल खड़ा करते हैं। अब देखना यह है कि क्या भारत सरकार इस मामले से सबक लेगी और अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करेगी?
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