"हम तैयार हैं..." कब बजता है वॉर सायरन, मॉक ड्रिल में आपको क्या करना है? हवाई हमले से कैसे बचें...पूरी डिटेल
Security Mock Drill: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बरकरार है जहां अब केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. गृह मंत्रालय ने देश के 244 जिलों में 7 मई को मॉक ड्रिल करने के आदेश दिए हैं जिसमें देश के नागरिकों को हमले के दौरान खुद को बचाने की ट्रेनिंग दी जाएगी.
बता दें कि मॉक ड्रिल इसलिए की जा रही है जिससे युद्ध की किसी भी स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और सिविल डिफेंस अपनी तैयारियों को कस सके. मालूम हो कि देश में आखिरी बार मॉक ड्रिल भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 1971 में की गई थी. वहीं अब पहलगाम हमले के बाद मोदी सरकार किसी भी संभावित खतरे से पहले अपनी तैयारियां मजबूत करना चाहती है.
दरअसल मॉक ड्रिल के दौरान एयर रेड वॉर्निंग सायरन भी बजाया जाएगा जिसका उद्देश्य है कि आम नागरिक किसी भी हवाई हमले के दौरान खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं. ऐसे में आइए आपको बताते हैं मॉक ड्रिल का पूरा गणित और किन जिलों में ये मॉक ड्रिल होगी और इस दौरान आपको क्या करना है?
देश के किन जिलों में होगी मॉक ड्रिल?
बता दें कि गृह मंत्रालय की ओर से करवाई जा रही ये मॉक ड्रिल 244 सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट (नागरिक सुरक्षा जिला) में होगी. देश में नागरिकों की सुरक्षा के लिए नागरिक सुरक्षा अधिनियम 1968, मई 1968 में संसद द्वारा पारित किया गया जिसके बाद से ये सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 पूरे देश में लागू है. इस एक्ट के तहत कई ऐसे क्षेत्रों और जोन को बांटा गया है जो किसी भी खतरे को लेकर संवेदनशील माने जाते हैं.
इन्हीं संवेदनशील इलाकों में से 244 जिलों में मॉक ड्रिल करना तय किया गया है जिनमें भारत और पाकिस्तान सीमा से जुड़े जिले जिसमें जम्मू कश्मीर, राजस्थान, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों के जिले शामिल है. वहीं कुछ अन्य भी ऐसे संवेदनशील इलाके हैं जिन्हें सिविल डिफेंस जिलों के रूप में बांटा गया है. मालूम हो कि युद्ध और आपातकाल के समय सिविल डिफेंस ऑर्गनाइजेशन की अहम भूमिका होती है जिसमें वह देश के आंतरिक माहौल में लोगों की सुरक्षा करता है और सशस्त्र बलों को सहायता देता है.
पहले जानिए मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट में फर्क
आपने देखा होगा कि मॉक ड्रिल के ऐलान के बाद से ही एक शब्द ब्लैकआउट भी चर्चा में आ गया है तो क्या ये मॉक ड्रिल से अलग है. दरअसल मॉक ड्रिल यानी एक तरह की ऐसी "प्रैक्टिस" जिसमें अगर कोई इमरजेंसी जैसी परिस्थिति हो जैसे एयर स्ट्राइक या बम से हमला तो आम जनता क्या करे औल उन्हें कैसे सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाए.
वहीं ब्लैकआउट एक्सरसाइज का मतलब होता है कि एक घोषित किए गए समय में किसी पूरे इलाके की लाइटें बंद कर दी जाती है जिसका मतलब होता है कि अगर दुश्मन देश हवाई हमला कर रहा है तो इलाके को अंधेरे में रखकर सुरक्षित रखा जाता है क्योंकि हवाई हमला रोशनी के आधार पर किया जाता है.
एयर रेड वॉर्निंग सायरन क्या है?
मॉक ड्रिल के दौरान 7 मई को देशभर में सायरन बजाया जाएगा लेकिन ये सायरन क्या, दरअसल जिन देशों पर अक्सर युद्ध का खतरा बना रहता है वहां हमले से कुछ सेकेंड पहले ही चेतावनी के लिए सरकार ऐसे एयर रेड सायरन बजाती है. हाल में इजराइल और यूक्रेन में हुए हवाई हमलों के दौरान कई जगहों पर ऐसे ही सायरन लगाकर बजाए गए थे.
ये सायरन एक खास तकनीक पर काम करते हैं जहां जैसे ही दुश्मन देश की वायु सीमा से अगर कोई भी रॉकेट या मिसाइल हमारे वायुसेना इलाके में आता है तो हमारे रडार उसे इंटरसेप्ट करते हैं और तुरंत ही दुश्मन के हमले के बारे में जानकारी मिल जाती है. वहीं ये जानकारी मिलते ही उनकी रफ़्तार और दिशा को देखते हुए वायु सेना उन संभावित इलाकों में अलर्ट भेजती है और उन जगहों पर कुछ सेकेंडों के लिए एयर रेड सायरन बजते हैं.
सायरन कहां लगेंगे और बजने पर क्या करना है?
मॉक ड्रिल के दौरान ये सायरन सरकारी भवन, प्रशासनिक भवन, पुलिस मुख्यालय, फायर स्टेशन, सैन्य ठिकाने, शहर के बड़े बाजार और कोई भीड़भाड़ वाली जगहों पर ये सायरन लगाए जाते हैं और एक फिक्स समय पर ये बजते हैं जिसके बाद तुरंत कुछ ही सेकेंडों में सिविल डिफेंस की टीम एक्शन मोड में आ जाती है.
वहीं ऐसे सायरन बजने पर आम नागरिक के तौर पर 5 से 10 मिनट में सुरक्षित स्थान पर पहुंचा जाता है. इसके साथ ही ऐसे सायरन बजने के दौरान बिल्कुल भी पैनिक ना हों और सिर्फ खुले इलाकों से दूर जाना होता है. वहीं घरों और सुरक्षित इमारतों के अंदर या बेसमेंट में चले जाएं और अफवाहों से बचते हुए स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें.