पहलगाम हमले में 'अल्लाहु अकबर' का जिक्र क्यों हो रहा? जानिए इसका असली मतलब
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई और 17 लोग बुरी तरह घायल हुए। खबरों के मुताबिक, आतंकियों ने लोगों से उनका धर्म पूछकर गोलियां चलाईं। इस बीच, एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें जिपलाइन कराने वाला शख्स 'अल्लाहु अकबर' बोलता दिख रहा है। इस वीडियो के बाद लोग इसे आतंकवाद से जोड़कर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन क्या 'अल्लाहु अकबर' का मतलब वाकई में वैसा है, जैसा लोग समझ रहे हैं? आइए, इसकी पूरी कहानी और सही मतलब समझते हैं
'अल्लाहु अकबर' का असली मतलब क्या है?
'अल्लाहु अकबर' दो शब्दों से मिलकर बना है - 'अल्लाह' और 'अकबर'। 'अल्लाह' का मतलब है वह एकमात्र ईश्वर, जिसे इस्लाम में दुनिया का रचयिता माना जाता है। इस्लाम के मुताबिक, अल्लाह ने ही सृष्टि बनाई, हर जीव-जंतु को जन्म दिया और उनकी जिंदगी की व्यवस्था की। इसलिए, उसके सिवा किसी और की पूजा करना इस्लाम में सबसे बड़ा गुनाह है। अब बात 'अकबर' की। 'अकबर' का मतलब है 'महान'। नहीं, इसका शहंशाह अकबर से कोई लेना-देना नहीं है! इस्लाम में मान्यता है कि अल्लाह ने पूरी कायनात बनाई, इसलिए वो सबसे महान है।
तो, 'अल्लाहु अकबर' का सीधा-सीधा मतलब है - "अल्लाह सबसे बड़ा है" या "अल्लाह महान है"। ये वाक्य इस्लाम में आस्था और ईश्वर की महिमा बताने के लिए इस्तेमाल होता है, ठीक वैसे ही जैसे हर धर्म में ईश्वर को महान कहने के अपने-अपने तरीके हैं।
इस्लाम में 'अल्लाहु अकबर' का क्या रोल है?
मुस्लिम समुदाय में 'अल्लाहु अकबर' का इस्तेमाल कई मौकों पर होता है। मुसीबत के वक्त लोग इसे बोलकर अल्लाह से मदद मांगते हैं। नमाज के दौरान भी 'तकबीर' (अल्लाह की महिमा का जिक्र) के वक्त इसे बोला जाता है। अगर इसकी पुष्टि की बात करें, तो कुरान में भी 'अल्लाहु अकबर' का जिक्र मिलता है। मसलन, सूरह तौबा की आयत नंबर 72 और सूरह अल-अनकबूत की आयत 45 में इसका उल्लेख है। यानी, ये कोई नया या अजीब शब्द नहीं है। मुस्लिम लोग इसे प्रेरणा लेने, हिम्मत जुटाने या अल्लाह को याद करने के लिए बोलते हैं।
वायरल वीडियो ने क्यों मचाया बवाल?
अब बात उस वीडियो की, जो पहलगाम हमले के बाद वायरल हो रहा है। इसमें एक शख्स जिपलाइन पर मस्ती में वीडियो बना रहा है। उसी वक्त नीचे फायरिंग शुरू हो जाती है। दावा है कि जिपलाइन ऑपरेटर ने ठीक उसी वक्त तीन बार 'अल्लाहु अकबर' बोला। बस, यहीं से लोग इसे आतंकवाद से जोड़कर देखने लगे। लेकिन अगर 'अल्लाहु अकबर' का असली मतलब देखें, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। ये अल्लाह को याद करने का एक तरीका है, जैसे कोई मुसीबत में 'हे भगवान' या 'या रब' बोलता है।
कई बार लोग डर या जोखिम के वक्त भी इसे बोलते हैं, जैसे कश्मीरी लोग किसी मुश्किल काम के दौरान 'अल्लाहु अकबर' कह सकते हैं। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि हर बार इसे आतंक से जोड़ा जाए। NIA इस मामले में जिपलाइन ऑपरेटर से पूछताछ कर रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला कि उसका आतंकियों से कोई कनेक्शन था।
तो क्या इसे आतंक से जोड़ना सही है?
'अल्लाहु अकबर' एक धार्मिक नारा है, जिसका इस्तेमाल इस्लाम में सदियों से होता आ रहा है। इसे आतंकवाद से जोड़ना उतना ही गलत है, जितना किसी दूसरे धर्म के पवित्र शब्द को गलत तरीके से पेश करना। हां, कुछ आतंकी इसका गलत इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हर बार इसे उसी नजर से देखा जाए। पहलगाम हमले का वीडियो दुखद है, और इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। लेकिन बिना पुख्ता सबूत के 'अल्लाहु अकबर' को आतंक से जोड़ना जल्दबाजी होगी।
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