ऑपरेशन सिंदूर में मसूद अजहर के भाई पर बड़ा प्रहार! जानिए कंधार हाइजैक से लेकर कितने मंसूबों को अंजाम दे चुका था रऊफ?
Operation Sindoor: पहलगाम के खूनी हमले का बदला भारत 'ऑपरेशन सिंदूर' से ले रहा है जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई रऊफ अजहर के चिथड़े उड़ा दिए गए हैं। 1999 के IC-814 कंधार हाइजैक का मास्टरमाइंड रऊफ अब इतिहास बन चुका है। बता दें कि बीते दिन रात में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को राख में मिला दिया था। जिसके बाद से भारत का ऑपरेशन लगातार जारी है।यह सर्जिकल स्ट्राइक आतंक के आकाओं के लिए साफ संदेश है कि भारत की धरती पर खून बहाने की कीमत चुकानी पड़ेगी।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंक पर अब तक का सबसे बड़ा प्रहार
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने 26 लोगों की जान ले ली थी। जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन इसके पीछे थे। भारत ने 6-7 मई की दरमियानी रात 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया। राफेल जेट्स और प्रिसिजन मिसाइलों ने पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया।
बहावलपुर में जैश का मुख्यालय, मुरीदके में लश्कर का अड्डा और अन्य कैंप राख हो गए। इस हमले में सैकड़ों आतंकी मारे गए। जिसके बाद अब रऊफ अजहर का खात्मा जैश के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ। भारत ने अमेरिका, रूस और ब्रिटेन को तुरंत सूचित कर अपनी जिम्मेदारी दिखाई।
कंधार हाइजैक का मास्टरमाइंड था रऊफ अजहर
रऊफ अजहर, मसूद अजहर का छोटा भाई, जैश-ए-मोहम्मद का अहम सिपहसालार था। 1999 में भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के कंधार हाइजैक का यह मास्टरमाइंड था। 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली जा रही फ्लाइट को हाइजैक कर तालिबान-नियंत्रित कंधार ले जाया गया। रऊफ ने इस साजिश को अंजाम दिया, जिसका मकसद मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक जरगर को भारतीय जेलों से रिहा कराना था। तालिबान के साथ समन्वय और ऑपरेशन की पूरी योजना रऊफ ने बनाई। इस हाइजैक ने भारत को झकझोर दिया था, लेकिन अब रऊफ का अंत भारत की ताकत का सबूत है।
आतंकी रऊफ का पूरा चिट्ठा क्या है?
दरअसल 1975 में जन्मा रऊफ अजहर बचपन से ही आतंकी विचारधारा में डूबा था। 24 साल की उम्र में वह IC-814 हाइजैक की साजिश रच चुका था। जैश-ए-मोहम्मद में उसकी भूमिका मसूद से कम नहीं थी। मसूद के खराब स्वास्थ्य के दौरान रऊफ ने संगठन की कमान संभाली और हर बड़ा फैसला लिया। बहावलपुर में जैश के मरकज सुभान अल्लाह को उसने आतंकी ट्रेनिंग का गढ़ बनाया। रऊफ ने हथियारों की तस्करी, फंडिंग और आतंकी भर्ती को संगठित किया। उसकी वजह से जैश भारत के लिए बड़ा खतरा बना, लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' ने उसके नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया।
रऊफ के वो नापाक कारनामे...
रऊफ अजहर सिर्फ IC-814 तक सीमित नहीं था। उसका हाथ कई बड़े आतंकी हमलों में था। 2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा और भारतीय संसद पर हुए फिदायीन हमलों में उसकी भूमिका थी। 2016 के पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले की साजिश उसने रची। 2019 के पुलवामा हमले, जिसमें 40 CRPF जवान शहीद हुए, में भी रऊफ सक्रिय था। 2014 से 2019 तक उसने कश्मीर में कई छोटे-बड़े हमलों को अंजाम दिया। रऊफ ने तालिबान और ISI के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिशें रचीं, जिसने उसे भारत और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का मोस्ट वॉन्टेड बनाया।
अंतरराष्ट्रीय मोस्ट वॉन्टेड का अंत
रऊफ अजहर के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। भारत, अमेरिका और ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियां उसकी हरकतों पर नजर रखे हुए थीं। पाकिस्तान ने उसे पनाह दी, लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' ने साबित कर दिया कि भारत आतंकियों को उनके घर में घुसकर मार सकता है। रऊफ का खात्मा जैश के लिए करारा झटका है, और मसूद अजहर की हताशा से साफ है कि संगठन बिखरने की कगार पर है। भारत ने कश्मीर में हाई अलर्ट जारी किया, और वायुसेना गश्त तेज कर रही है। यह ऑपरेशन हर शहीद के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है, और आतंक के आकाओं के लिए चेतावनी कि भारत अब चुप नहीं रहेगा।
यह भी पढ़ें :
.