भय बिनु होइ न प्रीति' के साथ भारतीय सेना ने पाकिस्तान को दिया कड़ा संदेश, जानिए पूरा सच!
Operation Sindoor: भारतीय सेना ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘कृष्ण की चेतावनी’ की पंक्तियों ‘याचना नहीं अब रण होगा, जीवन-जय या कि मरण होगा’ और रामायण के सुंदरकांड की एक चौपाई ‘विनय न मानत जलधि जड़, गये तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति’। ये बातें भारतीय वायुसेना (Operation Sindoor) के प्रमुख एके भारती ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहीं। ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार के द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में उन्होंने रामायण की चौपाई सुनायी।
पत्रकार ने वायुसेना प्रमुख से पूछा- क्या संदेश देना चाहते हैं?
तीनों सेना प्रमुख और डीजीएमओ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू करने से पहले पाकिस्तान की तबाही का एक वीडियो चलाया, जिसमें रामधारी सिंह दिनकर की कविता पढ़ी गयी थी। पत्रकार ने सवाल पूछा था कि एक दिन पहले जब तीनों सेना प्रमुखों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की थी, तब वीडियो में शिवतांडव का जिक्र किया गया था और आज राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की ‘कृष्ण की चेतावनी। इन दोनों वीडियो और कविता के जरिये भारतीय सेना क्या संदेश देना चाहती है, कृपया इसको स्पष्ट करें।
वायुसेना प्रमुख एके भारती ने सुनाया रामायण का प्रसंग
इस सवाल पर वायुसेना प्रमुख भारती ने कहा, ‘रामधारी सिंह दिनकर हमारे राष्ट्रकवि हैं। आपके सवाल के जवाब में मैं रामायण का एक प्रसंग याद दिलाता हूं। कई दिनों तक विनती करने के बाद भी जब श्रीराम की सेना को समुद्र ने रास्ता नहीं दिया, तो भगवान श्रीराम ने क्रोध में कहा- विनय न मानत जलधि जड़, गये तीन दिन बीति। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होइ न प्रीति। उन्होंने कहा कि समझदार के लिए इशारा ही काफी है। वायुसेना प्रमुख ने जैसे ही ये पंक्तियां पढ़ीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल तालियों से गूंज उठा।
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