5 हजार के पाक ड्रोन्स पर छोड़ीं 15 लाख की मिसाइलें? कांग्रेस MLA ने पूछा- देश का पैसा ऐसे उड़ाया जाएगा?
महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने मोदी सरकार को घेरते हुए ऑपरेशन सिंदूर पर एक ऐसा सवाल दाग दिया है जिसने सियासी बहस को नया मोड़ दे दिया है। उन्होंने पाकिस्तानी ड्रोन हमलों और भारत की जवाबी कार्रवाई को लेकर आर्थिक नुकसान का मुद्दा उठाया है। वडेट्टीवार का कहना है कि पाकिस्तान ने महज 5 से 15 हजार रुपये के सस्ते ड्रोन भेजे, जबकि भारत ने उन्हें मार गिराने के लिए 15 लाख रुपये की मिसाइलें दाग दीं। उन्होंने सरकार से पूछा, "क्या यही है रक्षा नीति? क्या इस तरह के फैसले से देश का पैसा बर्बाद करना उचित है?
कांग्रेस पर पलटवार करके क्या बोली BJP?
भाजपा ने वडेट्टीवार के बयान को पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा बताते हुए कड़ा पलटवार किया है। पार्टी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस नेता का बयान पाकिस्तानी सेना की आईएसपीआर (ISPR) की भाषा जैसा है। उन्होंने आरोप लगाया, "कांग्रेस पाकिस्तान के नैरेटिव को बढ़ावा दे रही है।
सेना के बलिदान पर सवाल उठाना इस पार्टी की आदत बन चुकी है।" पूनावाला ने याद दिलाया कि 26/11 के बाद कांग्रेस सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जबकि मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट जैसे ऑपरेशनों से आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया।
ऑपरेशन सिंदूर में क्या हुआ था और क्यों उठ रहे हैं सवाल?
दरअसल 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। हालांकि, पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों से जवाबी हमला किया, जिसके बाद भारतीय सेना ने भी कार्रवाई की। 10 मई को पाकिस्तान ने सीजफायर का प्रस्ताव रखा, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया। लेकिन अब इस पूरे ऑपरेशन की रणनीति और खर्च को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
विरोधियों की आलोचना vs सरकार का रुख
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ऑपरेशन के वास्तविक नुकसान को छुपा रही है। वडेट्टीवार ने पूछा कि क्या अमेरिका के दबाव में सीजफायर हुआ? हमारे रफाल विमान क्यों गिराए गए?" वहीं, सरकार और सेना का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर में आतंकियों को भारी नुकसान पहुंचाया गया और देश की सुरक्षा को किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन हमलों का मुकाबला करने के लिए भारत को अपनी तकनीकी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में सस्ते और छोटे ड्रोन्स से निपटने की क्षमता विकसित की जा सके।
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