1 करोड़ EVM मशीन की देश को जरूरत...कितनी मुश्किल है ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की राह? पूरी डिटेल
One Nation One Election: 'वन नेशन वन इलेक्शन' भारत में लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है, जिसका उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना है। इसका उद्देश्य बार-बार होने वाले चुनावों से होने वाले खर्च, प्रशासनिक बोझ और नीतिगत निर्णयों में देरी को कम करना है। आजादी के बाद 1951, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हुए थे, लेकिन बाद में राज्यों में समय-समय पर सरकारों के भंग होने और मध्यावधि चुनावों के कारण यह व्यवस्था टूट गई।
हाल ही में केंद्र सरकार और विभिन्न राजनीतिक दल इस व्यवस्था पर फिर से विचार कर रहे हैं और देश में एक बार फिर एक देश एक चुनाव की चर्चा है. (One Nation One Election) वर्तमान में, वन नेशन वन इलेक्शन बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास है जहां इस पर सभी से सुझाव लिए जा रहे हैं। आइए समझते हैं कि एक देश-एक चुनाव की राह कितनी मुश्किल है और किस तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर की हमें जरूरत है.
कितनी आ सकती है लागत?
2029 में वन नेशन वन इलेक्शन लागू करने के लिए चुनाव आयोग ने 5,300 करोड़ रुपये से अधिक की लागत का अनुमान लगाया है। इसके लिए आवश्यक उपकरणों में 1 करोड़ EVM शामिल हैं. वहीं 34 लाख VVPAT मशीनें, 48 लाख बैलेटिंग यूनिट (BU) और 35 लाख कंट्रोल यूनिट (CU) की जरूरत होगी.
चुनाव आयोग का क्या आंकलन है?
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग ने इंटरनल सर्वे के मुताबिक देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की लागत 5,300 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। यह लागत मुख्य रूप से नई EVM और VVPAT मशीनों की खरीद और लॉजिस्टिक्स व्यवस्था के लिए होगी।
चुनाव आयोग के सामने क्या है प्रमुख चुनौतियां?
वर्तमान में चुनाव आयोग के पास 30 लाख से अधिक BU, 22 लाख CU, और करीब 24 लाख VVPAT उपलब्ध हैं।
2013-14 की मशीनें 2029 तक अपनी 15 साल चली मशीनें रिटायर हो जाएंगी। ऐसे में इन्फ्रास्ट्रक्चर के तौर पर ये एक बड़ी चुनौती है।
इसके अलावा 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए 10.53 लाख पोलिंग स्टेशन थे और 2029 में अनुमान के मुताबिक 15% वृद्धि के साथ 12.1 लाख से अधिक पोलिंग स्टेशन हो सकते हैं। ऐसे में हर एक पोलिंग स्टेशन के लिए सामान्यत दो सेट EVM की आवश्यकता होती है। वहीं 3.5 लाख BU और 1.25 लाख CU 2029 तक रिटायर हो जाएंगे, जिससे मशीनों की कमी और बढ़ेगी।
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