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सरकार के लिए 'एक देश, एक चुनाव' बिल पास कराना बने टेढ़ी खीर, विपक्ष की एकजुटता बनी बड़ी मुश्किल

केंद्र सरकार के लिए 'एक देश, एक चुनाव' बिल को संसद में पास कराना चुनौती बन गया है। विपक्ष की एकजुटता और दो-तिहाई बहुमत की कमी सरकार के रास्ते में बड़ी रुकावट बन सकती है
12:04 PM Dec 17, 2024 IST | Vibhav Shukla
केंद्र सरकार के लिए 'एक देश, एक चुनाव' बिल को संसद में पास कराना चुनौती बन गया है। विपक्ष की एकजुटता और दो-तिहाई बहुमत की कमी सरकार के रास्ते में बड़ी रुकावट बन सकती है
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केंद्र सरकार ने जो ‘एक देश, एक चुनाव’ का बिल लाने का फैसला किया है, वो अब संसद में टेढ़ी खीर बन चुका है। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इस बिल को पास कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए, लेकिन फिलहाल NDA (National Democratic Alliance) के पास सिर्फ 292 सीटें हैं, जबकि बिल पास करने के लिए कम से कम 362 सीटें चाहिए। ऐसे में सरकार के लिए यह बिल संसद में पास कराना आसान नहीं दिख रहा।

विपक्ष ने किया एकजुट होकर विरोध, सरकार के लिए बढ़ी परेशानी

‘एक देश, एक चुनाव’ बिल को लेकर विपक्ष ने पूरी तरह से एकजुट होकर इसका विरोध किया है। INDIA ब्लॉक के सभी दल इस बिल के खिलाफ हैं, और उनका कहना है कि इससे राज्यों की स्वायत्तता पर हमला होगा। रामनाथ कोविंद कमेटी ने इस बिल पर रिपोर्ट बनाई, जिसमें 47 पार्टियों ने अपनी राय दी। इनमें से 32 ने इसे समर्थन दिया, जबकि 15 ने इसका विरोध किया। खास बात यह है कि लोकसभा में विरोध करने वाले दलों के पास 205 सीटें हैं, और यही वजह है कि इस बिल के पारित होने में रुकावट आ रही है। विपक्ष की इस एकजुटता ने सरकार की मुसीबतें बढ़ा दी हैं, और इसे पारित कराना अब मुश्किल होता दिख रहा है।

सरकार का कहना है कि वह इस बिल पर सभी राजनीतिक दलों से चर्चा करने के लिए तैयार है। इसके लिए सरकार ने इसे 'जनरल पर्पस कमेटी' (GPC) को भेजने का फैसला किया है, जिसका अध्यक्ष बीजेपी का ही होगा और इसके सदस्य भी बीजेपी के होंगे। बीजेडी (BJD) ने भी कहा है कि इस पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। सरकार का पूरा फोकस इस बिल पर सर्वदलीय सहमति बनाने पर है, ताकि इसे संसद में पारित कराया जा सके।

आज संसद में पेश होगा बिल, लेकिन रास्ता आसान नहीं

लोकसभा के एजेंडे के मुताबिक, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल आज इस बिल को संसद में पेश करेंगे। इसके बाद, वह स्पीकर ओम बिरला से यह अपील कर सकते हैं कि इस बिल को विस्तृत विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाए। यानी सरकार की कोशिश होगी कि इस बिल पर हर एक पहलू को अच्छे से समझा जाए और फिर इसे पास कराया जाए।

2024 में हुए आम चुनावों में इंडिया ब्लॉक ने अच्छा प्रदर्शन किया था और बीजेपी को बहुमत हासिल करने से रोक दिया था। हालांकि बीजेपी बिहार की जनता दल (JD) और आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाब रही, लेकिन अब वह किसी भी बिल को बिना हंगामे के पास नहीं कर पा रही। इससे यह साफ है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल के लिए सरकार को काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी।

संविधान में बदलाव की जरूरत

‘एक देश, एक चुनाव’ के लिए संविधान में बदलाव करना होगा, क्योंकि इस प्रस्ताव के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, जो अब तक संविधान में नहीं है। इससे चुनाव प्रक्रिया को सरल बनाने, खर्च घटाने और चुनावों को नियमित करने की बात की जा रही है। हालांकि विपक्ष इस पर सवाल उठा रहा है कि इससे राज्यों की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी।

सरकार इस प्रस्ताव को लेकर विपक्ष से चर्चा कर रही है, लेकिन विपक्ष के कई दल इसके खिलाफ हैं। उनका कहना है कि इस कदम से राज्यों की राजनीति पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। सरकार की कोशिश इस बिल को पास कराने की है, लेकिन विपक्ष की एकजुटता और दो-तिहाई बहुमत की जरूरत इसे मुश्किल बना रही है।

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