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New Toll Policy: बार–बार टोल देने का झंझट ख़त्म! जानिए नई टोल पॉलिसी में क्या है खास?

गडकरी की नई टोल नीति में ₹3000 का सालाना पास, देशभर के हाईवे पर बिना रुके सफर, टोल बूथ हटेंगे, नंबर प्लेट से चार्ज कटेगा।
06:15 PM Apr 16, 2025 IST | Rohit Agrawal

New Toll Policy: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपने अनोखे आइडियाज़ के लिए मशहूर हैं। अब वो फिर कुछ नया लेकर आ रहे हैं। एक ऐसी टोल पॉलिसी, जो जेब पर हल्की पड़ेगी और हाईवे की सैर को मज़ेदार बनाएगी। खबर है कि सरकार जल्द ही नई टोल नीति लॉन्च करने वाली है, जिसमें 3,000 रुपये का वार्षिक पास मिलेगा। इस पास से आप पूरे साल किसी भी हाईवे या एक्सप्रेसवे पर बिना टोल दिए फर्राटा भर सकेंगे। साथ ही, टोल बूथ हटाने और प्रति किलोमीटर शुल्क की बात भी हो रही है। आखिर क्या है ये स्कीम, और कैसे ये हमारी ज़िंदगी आसान करेगी? आइए, इसे सरल अंदाज़ में समझते हैं।

क्या अब से नहीं लगेगा टोल?

बता दें कि नई टोल पॉलिसी का सबसे बड़ा तोहफा है कि टोल खर्च में करीब 50% की बचत। अभी आप हाईवे पर हर टोल बूथ पर रुकते हैं, जेब ढीली होती है, और समय भी बर्बाद होता है। लेकिन गडकरी का प्लान इसे बदल देगा। इस नीति में सिर्फ 3,000 रुपये में एक साल का पास मिलेगा। इस पास के साथ आप देश के किसी भी हाईवे या एक्सप्रेसवे पर बिना रुके, बिना टोल दिए घूम सकेंगे।

यानी, दिल्ली से जयपुर, मुंबई से पुणे, या लखनऊ से आगरा—कहीं भी जाओ, टोल की टेंशन ज़ीरो! वहीं अभी तक मासिक पास ही मिलते थे, जो किसी एक टोल प्लाजा पर छूट देते थे। लेकिन ये नया पास पूरे देश में काम करेगा। सोचिए, सालभर में कितनी बचत होगी, खासकर उन लोगों के लिए जो हर हफ्ते हाईवे पर गाड़ी दौड़ाते हैं।

टोल बूथ का हो जाएगा खात्मा

गडकरी का सपना है कि हाईवे पर टोल बूथ का नामोनिशान मिट जाए। नई पॉलिसी में टोल प्लाजा की जगह प्रति किलोमीटर शुल्क लगेगा। मिसाल के तौर पर, कार वालों को 100 किलोमीटर के लिए करीब 50 रुपये देने होंगे। ये शुल्क FASTag से जुड़े खाते से अपने आप कट जाएगा। यानी, न रुकना, न लाइन में लगना—बस गाड़ी चलाते रहो!

इसके लिए ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) सिस्टम लगाया जा रहा है। ये सिस्टम गाड़ी की नंबर प्लेट पढ़कर टोल वसूल करेगा। सरकार का दावा है कि इस साल के अंत तक पूरे देश में ANPR लागू हो जाएगा। दिल्ली-जयपुर हाईवे पर इसका ट्रायल शुरू होने वाला है। भारी वाहनों और ट्रकों से शुरुआत होगी, फिर कारों तक ये सिस्टम पहुंचेगा।

कंपनियों की चिंता का हल

इस स्कीम को लागू करना आसान नहीं था। टोल बूथ चलाने वाली कंपनियों के साथ पुराने कॉन्ट्रैक्ट थे, जो इस तरह के पास की इजाज़त नहीं देते। लेकिन सरकार ने रास्ता निकाल लिया। कंपनियां हर गाड़ी का डिजिटल रिकॉर्ड रखेंगी, और उनके नुकसान की भरपाई सरकार एक खास फॉर्मूले से करेगी। पहले 30,000 रुपये में 15 साल का लाइफटाइम पास लाने की बात थी, लेकिन कंपनियों और बैंकों की आपत्तियों के बाद इसे रद्द कर दिया गया। लोगों को भी इतना लंबा पास लेने में कम दिलचस्पी थी।

बैंकों को मुनाफा तो यात्रियों को राहत

नई पॉलिसी में बैंकों की चिंता भी दूर की गई है। कुछ लोग FASTag में कम बैलेंस रखकर टोल चोरी कर लेते थे। अब बैंकों को FASTag खातों में मिनिमम बैलेंस रखने और ज़्यादा पेनल्टी लगाने का अधिकार मिलेगा। साथ ही, सड़क किनारे ढाबों और रेस्ट स्टॉप जैसी सुविधाओं में बैंकों को हिस्सेदारी दी जाएगी, ताकि उनकी कमाई बढ़े। वहीं तीन पायलट प्रोजेक्ट्स में इस सिस्टम की टेस्टिंग हो चुकी है, और 98% सटीकता मिली है। यानी, टेक्नॉलजी पर भरोसा किया जा सकता है। पूरे देश में सेंसर और कैमरे लग रहे हैं, और हाईवे की मैपिंग हो चुकी है।

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