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क्या है नेशनल हेराल्ड का पूरा माजरा, सोनिया-राहुल की भूमिका से लेकर हर सवाल का जवाब, यहां समझिए

नेशनल हेराल्ड केस... राजनीतिक आरोपों, जांच एजेंसियों की कार्रवाई और गांधी परिवार की सफाई के बीच क्या है सच्चाई?
01:18 PM May 21, 2025 IST | Avdesh
नेशनल हेराल्ड केस... राजनीतिक आरोपों, जांच एजेंसियों की कार्रवाई और गांधी परिवार की सफाई के बीच क्या है सच्चाई?

National Herald Case: नई दिल्ली में 21 और 22 मई 2025 को नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुनवाई होगी। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट पर विचार करेंगे और इसके बाद, बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की चार्जशीट की कॉपी मांगने की याचिका पर सुनवाई होगी। (National Herald Case) 2 मई को यंग इंडियन (YIL) सहित सभी आरोपियों को नोटिस जारी किए गए थे। इससे पहले अदालत ने कहा था कि यह प्रक्रिया आरोपियों के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को सुनिश्चित करती है। इस मौके पर आइए समझते हैं कि ये पूरा मामला क्या है और इसकी शुरुआत कब हुई थी.

2012 में हुई मामले ही शुरुआत

नेशनल हेराल्ड केस में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं पर वित्तीय अनियमितता, मनी लॉन्ड्रिंग और संबंधित अपराधों के आरोप हैं। यह विवाद 2012 में शुरू हुआ, जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में निजी शिकायत दर्ज की।

स्वामी ने आरोप लगाया कि सोनिया और राहुल गांधी ने यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के अधिग्रहण में धोखाधड़ी, गबन और विश्वासघात किया। ईडी ने नवंबर 2023 में जांच तेज की और AJL व YIL से जुड़ी 751.9 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की।

क्या है नेशनल हेराल्ड का इतिहास?

नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन को समर्थन देने के लिए की थी। इसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) प्रकाशित करता था, जो 1937 में बनी एक गैर-लाभकारी कंपनी थी। AJL कौमी आवाज (उर्दू) और नवजीवन (हिंदी) भी प्रकाशित करती थी। 2008 में वित्तीय संकट और भारी कर्ज के कारण AJL ने इन अखबारों का प्रकाशन बंद कर दिया।

सोनिया और राहुल गांधी की क्या है भूमिका?

2010 में यंग इंडियन लिमिटेड (YIL) नामक गैर-लाभकारी कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया और राहुल गांधी की 76% हिस्सेदारी थी (प्रत्येक के पास 38%)। YIL की पेड-अप पूंजी 5 लाख रुपये थी। AJL को परिचालन के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) से 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त कर्ज मिला था।

2010 में AICC ने यह कर्ज 50 लाख रुपये में YIL को हस्तांतरित किया। इसके बदले AJL ने YIL को 9.02 करोड़ इक्विटी शेयर जारी किए, जिससे YIL ने AJL के 99% शेयर हासिल कर लिए और उसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।

2000 करोड़ से अधिक AJL की प्रॉपर्टी!

AJL दिवालिया नहीं थी, लेकिन उस पर भारी कर्ज था और 2008 में अखबार बंद हो गया। AJL के पास दिल्ली, मुंबई, लखनऊ आदि शहरों में मूल्यवान रियल एस्टेट संपत्तियां थीं। YIL ने AJL के 99% शेयर हासिल कर इन संपत्तियों पर नियंत्रण प्राप्त किया, जिससे लीजिंग या अन्य तरीकों से आय अर्जित की जा सकती थी। स्वामी ने 2012 में दावा किया था कि AJL की संपत्तियों की कीमत 2,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

गांधी परिवार पर क्या आरोप हैं?

ईडी ने 2023 के कुर्की आदेश और अप्रैल 2025 की चार्जशीट में दावा किया कि कर्ज हस्तांतरण और इक्विटी रूपांतरण मनी लॉन्ड्रिंग की योजना का हिस्सा थे। ईडी का आरोप है कि AICC के फंड (सार्वजनिक दान सहित) का उपयोग धोखाधड़ी से AJL की संपत्तियों को YIL के नियंत्रण में लाने के लिए किया गया, जिसका स्वामित्व सोनिया और राहुल गांधी के पास है। ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि AJL, YIL और AICC ने AJL के मूल शेयरहोल्डर्स और कांग्रेस के दानदाताओं के साथ धोखाधड़ी की।

 

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