नेशनलराजनीतिमनोरंजनखेलहेल्थ & लाइफ स्टाइलधर्म भक्तिटेक्नोलॉजीइंटरनेशनलबिजनेसआईपीएल 2025चुनाव

मुर्शिदाबाद की हिंसा या एक साजिश? पर्दे के पीछे चल रही थी ‘शैडो प्लानिंग’!

इस हिंसा का इस्तेमाल एक 'कवर ऑपरेशन' की तरह किया गया, ताकि सीमावर्ती इलाके से बांग्लादेशी लड़कों को भारत में घुसाया जा सके।
12:59 PM Apr 20, 2025 IST | Sunil Sharma
इस हिंसा का इस्तेमाल एक 'कवर ऑपरेशन' की तरह किया गया, ताकि सीमावर्ती इलाके से बांग्लादेशी लड़कों को भारत में घुसाया जा सके।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हालिया हिंसा सिर्फ विरोध-प्रदर्शन नहीं था—यह एक बड़े आतंकी गेमप्लान की परतें खोलता नजर आ रहा है। वक्फ एक्ट के खिलाफ शुरू हुए विरोध ने जब बेकाबू हिंसा का रूप लिया, तब शायद ही किसी को अंदाजा रहा हो कि इसके पीछे एक गहरी ‘शैडो प्लानिंग’ चल रही थी। सूत्रों की मानें तो इस हमले की स्क्रिप्ट तीन महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी, और इसके ज़रिए कई आतंकी भारत में घुसपैठ करने में सफल हो गए।

हिंसा नहीं, एक सुनियोजित योजना थी

मुर्शिदाबाद में जिस तरह हिंसा फैली, उसमें ना केवल लोगों की जान गई, बल्कि सैकड़ों लोग बेघर भी हो गए। मगर सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इस हिंसा का इस्तेमाल एक 'कवर ऑपरेशन' की तरह किया गया, ताकि सीमावर्ती इलाके से बांग्लादेशी लड़कों को भारत में घुसाया जा सके। इन लड़कों की उम्र 12 से 15 साल के बीच है, और उन्हें भारत में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों में दाखिल करवाने की तैयारी थी। वहां वे लंबे समय तक छुपे रहकर भारत के खिलाफ आंतरिक साजिशें रच सकें।

बॉर्डर पार कराए गए 'स्लीपर सेल'

मुर्शिदाबाद और मालदा के बॉर्डर एरिया में कई ऐसे पॉइंट्स हैं जहां बाड़ नहीं है। खुफिया जानकारी के अनुसार, इन्हीं रास्तों से आतंकी तत्वों को चुपचाप भारत में दाखिल कराया गया। हिंसा के शुरुआती चार घंटे बेहद क्रिटिकल थे—पुलिस जब दंगों को काबू करने में लगी थी, उसी दौरान कई संदिग्ध युवक बॉर्डर पार कर भीड़ में घुल-मिल गए।

भीड़ में छिपे 'आग लगाने वाले हाथ'

यह कोई सामान्य हिंसा नहीं थी। खुफिया एजेंसियों का कहना है कि बांग्लादेश से आए इन युवकों को पहले से ट्रेंड किया गया था, और जैसे ही हालात बेकाबू हुए, ये मुर्शिदाबाद के कुछ लोकल लड़कों के साथ शामिल हो गए ताकि किसी को शक न हो। यह हमला ना सिर्फ जानमाल के नुकसान की वजह बना, बल्कि इसने देश की आंतरिक सुरक्षा के सामने भी एक नया खतरा खड़ा कर दिया।

अब कहां हैं ये लड़के?

एजेंसियों के अनुसार, ये युवक अब मुर्शिदाबाद में नहीं हैं। गुजरात, चेन्नई, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, कश्मीर, असम, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ये लड़के बंधुआ मजदूर बनकर या अन्य कामों के जरिए छुप चुके हैं। इनका असली मकसद है ‘दीर्घकालीन घुसपैठ’ – यानी अभी सामान्य जीवन जियो, और वक्त आने पर स्लीपर सेल की तरह एक्टिव हो जाओ।

बॉर्डर सील से पहले की तैयारी?

जानकारों का कहना है कि आने वाले वर्षों में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर को पूरी तरह सील कर दिया जाएगा। इससे पहले आतंकियों की यह कोशिश है कि जितने लोग घुस सकते हैं, वो अभी घुस जाएं। और इसीलिए 18 साल से कम उम्र के युवाओं को भेजा गया, ताकि कोई केस भी न बने और ‘कानूनी बचाव’ बना रहे।

सतर्क रहिए, क्योंकि हमले की जमीन तैयार हो चुकी है

मुर्शिदाबाद की हिंसा अगर आपको सिर्फ एक धार्मिक या राजनीतिक मुद्दा लगी थी, तो अब वक्त है सोच बदलने का। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार ये एक स्लीपर सेल नेटवर्क की बुनियाद डालने का पहला कदम था। और जो लड़के आज आपके शहरों में मजदूर दिख रहे हैं, वो कल आतंकी गतिविधियों का हिस्सा बन सकते हैं।

यह भी पढ़ें:

ममता बनर्जी आधुनिक जिन्ना, TMC मुस्लिम लीग... बंगाल में बवाल पर क्या बोले बीजेपी नेता?

Murshidabad Violence: मुर्शिदाबाद में अब होने वाला है बड़ा एक्शन ! शुभेंदु अधिकारी की याचिका पर हाईकोर्ट ने क्या कहा?

बांग्लादेश में हिंदू नेता की बेरहमी से हत्या, हबेश चंद्र रॉय कौन थे और क्यों बने टारगेट? जानिए पूरी कहानी

Tags :
Bangladesh and indiabangladesh newsBSFintelligence agenciesMamta BanerjeeMurshidabad attackMurshidabad Violenceshadow planningshadow planning Murshidabadterroristwest bengal policeपश्चिम बंगाल में हिंसामुर्शिदाबाद हिंसावक्फ एक्ट

ट्रेंडिंग खबरें

Next Article