बंदर की करतूत से वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में मचा हड़कंप, 20 लाख की ज्वेलरी से भरा पर्स लेकर भागा!
वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में एक ऐसी घटना ने श्रद्धालुओं को स्तब्ध कर दिया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। एक चंचल बंदर ने न केवल मंदिर की शांति भंग की, बल्कि एक परिवार का जीवन क्षण भर के लिए अस्त-व्यस्त कर दिया। अलीगढ़ निवासी अभिषेक अग्रवाल और उनके परिवार के साथ हुई यह घटना सुनकर हर कोई दंग रह गया। जब वे मंदिर में दर्शन कर रहे थे, तभी एक बंदर ने झपट्टा मारकर उनका बैग छीन लिया, जिसमें 20 लाख रुपये के सोने के गहने थे। यह घटना न केवल मंदिर प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर गई कि क्या धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था लचर होती जा रही है?
पर्स छीनकर भागा बंदर, दो घंटे तक चली तलाशी!
घटना के बाद मंदिर परिसर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। अभिषेक और उनके परिवार के चेहरे पर मायूसी साफ देखी जा सकती थी। उन्होंने तुरंत मंदिर प्रशासन और स्थानीय पुलिस को सूचित किया। पुलिस और मंदिर के कर्मचारियों ने बंदर और गहनों की तलाश में दो घंटे तक मंदिर परिसर और आसपास के इलाकों को छान मारा। आखिरकार, मंदिर के पिछले हिस्से में एक झाड़ी के पास से वह बैग बरामद हुआ, जिसमें रखे सारे गहने सुरक्षित थे। इस घटना ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के बीच बंदरों के बढ़ते उत्पात को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
मंदिर में काफ़ी समय से रहा है बंदरों का आतंक?
यह घटना कोई पहली बार नहीं हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर परिसर में बंदरों द्वारा श्रद्धालुओं का सामान छीनना आम बात हो गई है। मोबाइल फोन, चश्मे, पानी की बोतलें और यहां तक कि प्रसाद भी बंदरों के निशाने पर रहते हैं। श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रशासन से इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की मांग की है। कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि मंदिर परिसर में बंदरों को भगाने के लिए लंगूरों की तैनाती की जाए, जबकि अन्य का मानना है कि इन जानवरों को पकड़कर जंगल में छोड़ देना चाहिए।
क्या अब बारीकी से होगी देखभाल?
इस घटना के बाद मंदिर प्रशासन और स्थानीय प्रशासन पर सुरक्षा व्यवस्था सुधारने का दबाव बढ़ गया है। पुलिस ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे मंदिर में कीमती सामान लेकर न आएं और अगर लाएं भी, तो उसे सावधानी से संभालकर रखें। साथ ही, बच्चों और बुजुर्गों पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई है। मंदिर प्रशासन ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बंदरों की समस्या से निपटने के लिए नए उपायों पर विचार करना शुरू कर दिया है।
क्या धार्मिक स्थलों पर जानवरों का आतंक बनता जा रहा है नई चुनौती?
बांके बिहारी मंदिर में हुई यह घटना न केवल एक परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सबक है। यह सवाल उठता है कि क्या हमारे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है कि जानवर भी उसमें सेंध लगा सकते हैं? अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं। मंदिर प्रशासन, स्थानीय प्रशासन और श्रद्धालुओं को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा, ताकि भक्ति और शांति के इन पावन स्थलों पर किसी की आस्था को ठेस न पहुंचे।
यह भी पढ़ें:
बेंगलुरु भगदड़ केस में बुरे फंसे कोहली! सरकारी लापरवाही का ठीकरा क्यों फोड़ रहे हैं विराट पर?