मोदी राज के 11 साल: अर्थव्यवस्था से लेकर डिजिटल इंडिया और डिफेंस तक, कैसे बदला नया भारत?
2014 से 2025 तक… ये 11 साल सिर्फ सत्ता में टिके रहने की कहानी नहीं, बल्कि भारत को नई रफ्तार देने का अध्याय बन चुके हैं। आर्थिक ग्रोथ हो या डिजिटल क्रांति, सर्जिकल स्ट्राइक हो या चंद्रयान की उड़ान — मोदी सरकार के इन सालों में हर सेक्टर में दिखाई दे रहा है विकास का परचम। 11 साल पहले भारत की अर्थव्यवस्था मात्र 2 ट्रिलियन डॉलर हुआ करती थी, मुद्रास्फीति 8% के पार थी और बुनियादी ढांचा जर्जर हालत में था। आज भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दहलीज पर खड़ा है, जहां डिजिटल भुगतान से लेकर स्वदेशी रक्षा उत्पादन तक हर क्षेत्र में क्रांति आई है। लेकिन यह सफर कितना आसान रहा? किन नीतियों ने बदली देश की दिशा? और क्या चुनौतियां अभी भी बाकी हैं?
अर्थव्यवस्था के पुनर्जन्म ने कैसे लगाए नए पंख?
2014 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.4% थी, जो आज 7% के पार पहुंच चुकी है। इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ा योगदान जीएसटी (2017) और इंसॉल्वेंसी कोड (2016) का रहा, जिसने कर व्यवस्था को सरल बनाया और कॉर्पोरेट लोन की समस्याओं का समाधान किया।
'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी योजनाओं ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता बढ़ी। 2014 में भारत का रक्षा निर्यात मात्र 2,000 करोड़ रुपये था, जो आज 20,000 करोड़ रुपये को पार कर चुका है।
डिजिटल क्रांति ने कैसे बदली भारत की तस्वीर?
2014 तक भारत नकदी आधारित अर्थव्यवस्था था, जहां डिजिटल लेनदेन नगण्य था। 2015 के डिजिटल इंडिया अभियान और 2016 में UPI की शुरुआत ने इस स्थिति को पलट दिया। आज भारत में प्रतिदिन 50 करोड़+ UPI लेनदेन होते हैं, और 50 करोड़ से अधिक लोग जन धन खातों से जुड़े हैं। Google Pay, PhonePe और Paytm जैसे प्लेटफॉर्म ने देश को डिजिटल बना दिया, जहां अब छोटे दुकानदार भी QR कोड से पेमेंट लेते हैं। यह बदलाव इतना बड़ा है कि आज भारत वैश्विक डिजिटल पेमेंट्स में अमेरिका और चीन से आगे है।
हाइवे से लेकर वंदे भारत तक, कैसे बदली यात्रा की परिभाषा?
2014 में सड़क निर्माण की गति 4,000 किमी प्रति वर्ष थी, जो आज 12,000 किमी प्रति वर्ष हो चुकी है। भारतमाला और सागरमाला जैसी योजनाओं ने न केवल कनेक्टिविटी बढ़ाई, बल्कि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को भी मजबूत किया।
उड़ान योजना ने 100 नए हवाई अड्डे बनाकर छोटे शहरों को हवाई यात्रा से जोड़ा, जबकि वंदे भारत ट्रेनों ने रेल यात्रा को लक्जरी बना दिया। 2014 तक भारत में मेट्रो सिर्फ 5 शहरों में थी, आज 20+ शहरों में मेट्रो चल रही है।
रक्षा क्षेत्र में कितनी बढ़ी आत्मनिर्भरता?
2014 में भारत दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक था, लेकिन आज 'मेक इन इंडिया' के तहत स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमान, ब्रह्मोस मिसाइल और पिनाका रॉकेट सिस्टम बनाए जा रहे हैं। अग्निपथ योजना (2022) ने सेना को युवा और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया, जबकि रक्षा निर्यात 10 गुना बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये पहुंच गया। भारत अब इंडोनेशिया, फिलीपींस और आर्मेनिया जैसे देशों को हथियार निर्यात करता है, जो 2014 में सोचना भी मुश्किल था।
नई शिक्षा नीति से लेकर G20 तक
नई शिक्षा नीति (2020) ने 10+2 सिस्टम को खत्म कर 5+3+3+4 मॉडल लागू किया, जिसमें कौशल विकास और बहु-विषयक शिक्षा पर जोर दिया गया। कौशल भारत मिशन के तहत 500+ केंद्रों पर AI, रोबोटिक्स और डेटा साइंस की ट्रेनिंग दी जा रही है।
विदेश नीति में भारत ने G20 की मेजबानी कर वैश्विक नेतृत्व साबित किया, जबकि इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) ने भारत को जलवायु नेतृत्व की भूमिका में ला खड़ा किया।
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