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48 घंटे, 4 राज्य, 50,000 करोड़ के प्रोजेक्ट्स: कैसे PM मोदी ने सेट किया विकास का नया रिकॉर्ड?

PM मोदी ने सिक्किम से यूपी तक 50,000 करोड़ की 25 परियोजनाएं लॉन्च कीं—इंफ्रास्ट्रक्चर पुश या 2029 की चुनावी बिसात?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साबित कर दिया है कि वह सिर्फ चुनावी रैलियों के नहीं, बल्कि विकास के भी 'फुलटाइम पीएम' हैं! गुरुवार से शुरू हुए अपने दो दिवसीय दौरे में वह सिक्किम से लेकर पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश तक करीब 50,000 करोड़ रुपये की 25 से ज्यादा परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। यह सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि पूर्वी भारत को इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य और ऊर्जा क्षेत्र में नई उड़ान देने का महाअभियान है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह दौरा सिर्फ विकास परियोजनाओं तक सीमित रहेगा या फिर 2024 के चुनावी समीकरणों को भी ध्यान में रखकर प्लान किया गया है?

सिक्किम में अस्पताल से लेकर रोपवे तक, क्या है पीएम का प्लान?

मोदी ने अपने दौरे की शुरुआत सिक्किम से की, जहां उन्होंने राज्य के 50 साल पूरे होने के मौके पर 'सिक्किम@50' कार्यक्रम को संबोधित किया। यहां की प्रमुख परियोजनाओं में 750 करोड़ रुपये की लागत वाला 500 बेड का जिला अस्पताल, पेलिंग का यात्री रोपवे और गंगटोक में अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा का अनावरण शामिल है। सिक्किम के लिए यह दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि यहां चीन की सीमा से सटे इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट रणनीतिक तौर पर अहम है। क्या यह दौरा सीमावर्ती विकास के संदेश के साथ चीन को भी कोई संकेत देता है?

पश्चिम बंगाल और बिहार: मेट्रो से लेकर पावर प्लांट तक क्या बदलेगा?

पश्चिम बंगाल में मोदी ने अलीपुरद्वार और कूच बिहार में 1,010 करोड़ रुपये की सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन परियोजना की नींव रखी, जो 2.5 लाख घरों तक पाइप्ड गैस पहुंचाएगी। वहीं बिहार में पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल (1,200 करोड़) और बिहटा एयरपोर्ट के सिविल एन्क्लेव (1,410 करोड़) के साथ-साथ 29,930 करोड़ रुपये की नबीनगर थर्मल पावर परियोजना का शिलान्यास किया। ये परियोजनाएं बिहार को एविएशन और पावर सेक्टर में नई पहचान दिलाएंगी। लेकिन दिलचस्प यह है कि बीजेपी नेता मनीष कश्यप ने लोगों से पीएम की बिक्रमगंज रैली बॉयकॉट करने की अपील की है। क्या यह बिहार में बीजेपी के अंदरूनी मतभेदों का संकेत है?

उत्तर प्रदेशः कैसे बदलेगा यूपी का औद्योगिक लैंडस्केप?

उत्तर प्रदेश के कानपुर में मोदी ने 2,120 करोड़ रुपये की कानपुर मेट्रो के एक खंड का उद्घाटन किया, साथ ही 8,300 करोड़ की पनकी थर्मल पावर एक्सटेंशन और 9,330 करोड़ की घाटमपुर थर्मल पावर यूनिट्स को राष्ट्र को समर्पित किया। ये परियोजनाएं कानपुर को औद्योगिक हब के रूप में फिर से स्थापित करने में मदद करेंगी। गौतमबुद्ध नगर में 220 केवी सबस्टेशन और ग्रेटर नोएडा में 132 केवी सबस्टेशन जैसी परियोजनाएं एनसीआर के पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करेंगी।

क्या मोदी का यह दौरा 2029 की तैयारी का हिस्सा है?

इस दौरे को लेकर राजनीतिक विश्लेषक दो तरह के नजरिए से देख रहे हैं। एक ओर जहां यह पूर्वी भारत के विकास को गति देने वाला मेगा कैंपेन है, वहीं दूसरी ओर इसे 2029 लोकसभा चुनाव की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है। पश्चिम बंगाल और बिहार जहां बीजेपी की स्थिति मजबूत करने की जरूरत है, वहीं उत्तर प्रदेश में पार्टी पहले से ही मजबूत स्थिति में है। क्या मोदी का यह 'विकास यात्रा' दरअसल 'चुनावी यात्रा' है? एक बात तो तय है कि इस दौरे के बाद पूर्वी भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर का नक्शा बदलने वाला है, फिर चाहे उसके पीछे कोई भी राजनीतिक मकसद हो!

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