वोट डालने से पहले बूथ पर ही होगा मोबाइल जमा, प्रचार के नियमों में भी हुए बड़े बदलाव – जानिए ECI के नए नियमों में क्या?
चुनाव आयोग ने एक ऐसा फैसला लिया है जो हर वोटर को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। अब मतदान केंद्रों के बाहर मोबाइल डिपॉजिट काउंटर बनाए जाएंगे, जहां लोग वोट डालने से पहले अपने फोन जमा कर सकेंगे। यह नियम मतदान की गोपनीयता बनाए रखने के लिए लाया गया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह व्यवस्था वाकई वोटरों के लिए सुविधाजनक होगी या फिर लंबी लाइनों और भ्रम की नई समस्या खड़ी कर देगी? आयोग का कहना है कि यह कदम महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों की सुविधा के लिए उठाया गया है, लेकिन क्या जमीनी स्तर पर इसका ठीक से पालन हो पाएगा?
मोबाइल को लेकर क्या किया गया बदलाव?
चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति तो होगी, लेकिन फोन को स्विच ऑफ करना होगा। अगर कोई वोटर फोन लेकर अंदर जाता हुआ पकड़ा गया, तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।
हालांकि, कुछ मतदान केंद्रों को इस नियम से छूट भी मिल सकती है, अगर वहां की स्थितियां प्रतिकूल हों। बड़ी बात यह भी है कि आम वोटर इस नियम को कैसे समझ पाएंगे। क्या पुलिस और चुनाव अधिकारी इसे सख्ती से लागू कर पाएंगे? वहीं इससे वोटिंग प्रक्रिया और धीमी नहीं हो जाए।
200 मीटर से घटाकर 100 मीटर कर दी गई दूरी
चुनाव आयोग ने प्रचार नियमों में भी एक बड़ा बदलाव किया है। अब पार्टियां और उम्मीदवार मतदान केंद्र से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर बूथ लगाकर वोटरों को पहचान पर्चियां बांट सकेंगे। पहले यह दूरी 200 मीटर थी। इसका मकसद वोटरों को सही जानकारी देना है, लेकिन क्या इससे मतदान केंद्रों के आसपास भीड़भाड़ और अराजकता नहीं बढ़ेगी? क्या पार्टियां इस नियम का गलत फायदा उठाकर वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगी? यह सवाल अब चुनाव आयोग के सामने है।
क्या वोटरों को मिल पाएगी राहत?
चुनाव आयोग का दावा है कि ये नए नियम वोटरों की सुविधा के लिए बनाए गए हैं, लेकिन जमीन पर हकीकत क्या होगी, यह देखना बाकी है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती यह रहेगी कि मोबाइल डिपॉजिट काउंटर पर लंबी लाइनें लग सकती हैं। जिससे फोन जमा करवाने की प्रक्रिया में वोटरों को परेशानी होगी। आयोग ने कहा है कि वह लगातार नवाचार कर रहा है, लेकिन क्या यह नवाचार वोटरों के लिए वरदान साबित होगा या नई मुसीबत लेकर आएगा? जवाब अगले चुनाव में मिलेगा।
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