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मणिपुर में आखिर क्यों नहीं थम रही हिंसा? प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर दागे सवाल

प्रियंका गांधी ने पूछा—क्यों नहीं थम रही मणिपुर की आग? क्या पीएम मोदी की चुप्पी, वहां के लोगों के साथ घोर अन्याय नहीं है?
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मणिपुर एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। पांच जिलों में फिर से भड़की हिंसा ने पूरे राज्य को दहला दिया है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नजर नहीं आ रही। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने सीधे सवाल किया है कि केंद्र का शासन होने के बावजूद मणिपुर में शांति क्यों नहीं बहाल हो पा रही? क्या प्रधानमंत्री को मणिपुर के लोगों की कोई चिंता नहीं है?

PM का एक भी दौरा न करने पर उठे सवाल

मणिपुर पिछले दो साल से हिंसा, हत्या और विस्थापन की भयावह त्रासदी झेल रहा है। सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं, हजारों बेघर हो चुके हैं। प्रियंका गांधी ने इस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अब तक न तो मणिपुर का दौरा किया, न ही शांति बहाली के लिए कोई ठोस पहल की। उन्होंने पूछा कि "क्या यह सरकार का कर्तव्य नहीं कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे? मणिपुर को उसके हाल पर क्यों छोड़ दिया गया है।

क्या BJP की राजनीति मणिपुर की शांति से ज्यादा महत्वपूर्ण है?

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि फरवरी 2022 में भाजपा ने मणिपुर में अकेले बहुमत पाने की कोशिश की थी, जिसके बाद से ही राज्य में हिंसा का नया दौर शुरू हो गया। रमेश ने बताया कि केंद्र सरकार ने जांच आयोग तो बना दिया, लेकिन उसकी रिपोर्ट को लगातार टाला जा रहा है। अब रिपोर्ट की नई तारीख 20 नवंबर 2025 तय की गई है। सवाल यह है कि क्या मणिपुर को इतने लंबे समय तक हिंसा झेलनी पड़ेगी?

राष्ट्रपति शासन भी क्यों नाकाम?

कांग्रेस की मांग पर मणिपुर में 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, लेकिन इसका कोई खास प्रभाव नजर नहीं आ रहा। जयराम रमेश ने बताया कि राज्यपाल को तो हवाई अड्डे से अपने आवास तक हेलीकॉप्टर से जाना पड़ा, यह दिखाता है कि स्थिति कितनी खराब है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब केंद्र सरकार के पास पूरी शक्ति है, तो वह मणिपुर में शांति क्यों नहीं बहाल कर पा रही? क्या यह सरकार की नीयत पर सवाल नहीं उठाता?

क्या मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं?

मणिपुर की स्थिति पर सरकार की चुप्पी और निष्क्रियता चिंताजनक है। प्रधानमंत्री का मणिपुर न जाना, गृह मंत्री के सिर्फ औपचारिक दौरे और लगातार हिंसा जारी रहना..यह सब साबित करता है कि सरकार की प्राथमिकताओं में मणिपुर कहीं नहीं है। जब तक केंद्र सरकार गंभीरता से इस मुद्दे पर काम नहीं करेगी, तब तक मणिपुर के लोगों को हिंसा और पीड़ा झेलनी पड़ेगी। सवाल यह है कि क्या मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं है? अगर है, तो फिर उसे इस तरह अनदेखा क्यों किया जा रहा है?

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