मणिपुर फिर झुलसा: मैतेई नेताओं की गिरफ्तारी से भड़की हिंसा, 5 जिलों में इंटरनेट बंद
मणिपुर एक बार फिर हिंसा की आग में झुलस रहा है। राज्य के पांच जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। यह फैसला तब लिया गया जब इम्फाल में मैतेई संगठन अरमबाई तेंगोल के पांच नेताओं की गिरफ्तारी के बाद हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर आग लगा दी, पुलिस चौकियों पर हमला किया और हिंसा को हवा देने वाले नारेबाजी की। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि प्रशासन को इंटरनेट बंद करने का आदेश जारी करना पड़ा। लेकिन सवाल यह है कि क्या इंटरनेट बंद करने से हिंसा रुक पाएगी या फिर यह सिर्फ एक अस्थायी समाधान है?
क्यों गिरफ्तार किए गए मैतेई नेता?
मणिपुर में हिंसा की जड़ें गहरी हैं। इस बार का विवाद तब शुरू हुआ जब NIA ने मैतेई संगठन अरमबाई तेंगोल के पांच नेताओं को गिरफ्तार किया। इन नेताओं पर आरोप है कि वे प्रतिबंधित संगठनों कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी और यूनाइटेड पीपल्स पार्टी ऑफ कांगलेइपाक से जुड़े हैं। गिरफ्तारी के बाद से ही मैतेई समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए।
उनका आरोप है कि सरकार उनके नेताओं को बिना किसी ठोस सबूत के गिरफ्तार कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने क्वाकेइथल और उरीपोक में सड़कों पर टायर जलाकर और पुलिस चौकियों पर हमला करके अपना गुस्सा जाहिर किया। इस हिंसा में दो पत्रकार और एक नागरिक घायल हो गए, जबकि सुरक्षा बलों को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए फायरिंग करनी पड़ी।
इंटरनेट बंद से लेकर कर्फ्यू तक: मणिपुर के हाल क्या?
मणिपुर सरकार ने इम्फाल पश्चिम, इम्फाल पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग जिलों में इंटरनेट सेवाएं पांच दिनों के लिए बंद कर दी हैं। गृह विभाग ने कहा है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेशों और वीडियो के जरिए हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा था, इसलिए यह कदम उठाया गया है। इसके साथ ही कई इलाकों में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है।
पुलिस ने तलाशी अभियान के दौरान हथियार, आईईडी और मोर्टार जैसे खतरनाक सामान भी बरामद किए हैं। यह साफ दिख रहा है कि राज्य में अभी भी अशांति का माहौल बना हुआ है और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
क्या मणिपुर में शांति लौट पाएगी?
इस पूरे घटनाक्रम में राज्यसभा सांसद लीशेम्बा सनजाओबा की भूमिका भी चर्चा में है। वह घटनास्थल पर मौजूद थे और उन्होंने शांति बहाल करने की कोशिश की। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ऑडियो में उन्होंने कहा, "हमने शांति लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन अगर इस तरह की हरकतें होती रहीं तो शांति कैसे आएगी?" उनकी यह टिप्पणी दर्शाती है कि मणिपुर में तनाव का स्तर अभी भी बहुत ऊंचा है। मई 2023 से मणिपुर में मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 260 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इस साल फरवरी में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था, लेकिन अब भी हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं।
क्या मणिपुर फिर से हिंसा के दलदल में फंस रहा है?
मणिपुर में हिंसा का यह नया दौर एक बार फिर साबित करता है कि राज्य की समस्याएं अभी भी गहरी हैं। नेताओं की गिरफ्तारी, इंटरनेट बंद होना और कर्फ्यू लगना यह दिखाता है कि प्रशासन के पास स्थिति को संभालने के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं है। सवाल यह है कि क्या केवल दमनात्मक कार्रवाई से मणिपुर में शांति लाई जा सकती है या फिर सरकार को समुदायों के बीच संवाद बढ़ाने और राजनीतिक समाधान की दिशा में काम करने की जरूरत है? जब तक मणिपुर के लोगों की बुनियादी शिकायतों को दूर नहीं किया जाता, तब तक ऐसी हिंसक घटनाएं होती रहेंगी।
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