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महाकुंभ का आखिरी स्नान: 26 या 27 फरवरी? यहां दूर करें कंफ्यूजन!

महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान महाशिवरात्रि पर किया जाएगा। जानें तारीख, महत्व और त्रिवेणी संगम का आध्यात्मिक महत्व।
03:23 AM Feb 24, 2025 IST | Girijansh Gopalan
महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान महाशिवरात्रि पर किया जाएगा। जानें तारीख, महत्व और त्रिवेणी संगम का आध्यात्मिक महत्व।

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले का समापन अब नजदीक है। महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान, जिसे अब अमृत स्नान कहा जाता है, महाशिवरात्रि के मौके पर किया जाएगा। यह स्नान हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है और इसे करोड़ों श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त करने के लिए करते हैं।

महाकुंभ का आखिरी स्नान कब है?

इस बार महाशिवरात्रि की तिथि दो दिन पड़ रही है, जिसके चलते लोगों में कंफ्यूजन बना हुआ है कि महाकुंभ का आखिरी स्नान 26 फरवरी को किया जाएगा या 27 फरवरी को। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर होगी। वहीं, इस चतुर्दशी तिथि का समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा। ऐसे में पंचांग को देखते हुए महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी और इसी दिन महाकुंभ का आखिरी स्नान किया जाएगा।

इसी दिन महाकुंभ का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण स्नान भी होगा। इसका मतलब है कि जो लोग संगम तट पर जाकर पुण्य अर्जित करना चाहते हैं, वे 26 फरवरी को अमृत स्नान कर सकते हैं।

महाकुंभ में शाही स्नान का महत्व

शाही स्नान, जिसे अब अमृत स्नान कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखता है। यह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक जागरण का पर्व भी है। मान्यता है कि इस दिन संगम में डुबकी लगाने से पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है।  महाकुंभ के अंतिम स्नान में दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु संगम तट पर जुटते हैं। यह एक ऐसा अवसर होता है जब अध्यात्म, भक्ति और आस्था का संगम देखने को मिलता है। महाशिवरात्रि के साथ पड़ने वाला यह स्नान और भी विशेष हो जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पावन मिलन का प्रतीक होता है। ऐसे में यह स्नान दुर्लभ और बेहद पुण्यदायी माना जाता है।

महाशिवरात्रि और महाकुंभ का गहरा संबंध

महाशिवरात्रि भगवान शिव के भक्तों के लिए सबसे बड़ा पर्व होता है। इस दिन शिवजी की उपासना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। महाकुंभ का अंतिम स्नान महाशिवरात्रि के दिन होना इसे और भी महत्वपूर्ण बना देता है। त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाने से भक्तों को न केवल पापों से मुक्ति मिलती है बल्कि यह जीवन के आध्यात्मिक उत्थान का भी मार्ग खोलता है।

महाकुंभ में आखिरी स्नान के लिए जरूरी बातें

अगर आप भी महाकुंभ के इस अंतिम पुण्य स्नान में शामिल होने जा रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:
स्नान का सही समय: 26 फरवरी को पूरे दिन संगम में स्नान किया जा सकता है, लेकिन तड़के सुबह और ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना सबसे शुभ माना जाता है।
यातायात व्यवस्था: प्रयागराज प्रशासन ने महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए विशेष यातायात व्यवस्था की है। गंगा स्नान के लिए अलग-अलग रूट निर्धारित किए गए हैं।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम: प्रशासन ने सुरक्षा के लिए लाखों पुलिस बल और वॉलंटियर्स को तैनात किया है। स्नान घाटों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और मेडिकल सुविधाओं को भी बढ़ाया गया है।

धार्मिक अनुष्ठान: स्नान के बाद भगवान शिव की आराधना करना बेहद शुभ माना जाता है।

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