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38 बार सांप ने काटा, मिला 1.52 करोड़, जानिए क्या है इस चौंकाने वाले मामले की पूरी सच्चाई

एमपी में युवक को सांप ने 38 बार डसा, चमत्कारिक रूप से बचा, अदालत ने 1.52 करोड़ का मुआवजा दिया
12:55 PM May 22, 2025 IST | Rajesh Singhal
एमपी में युवक को सांप ने 38 बार डसा, चमत्कारिक रूप से बचा, अदालत ने 1.52 करोड़ का मुआवजा दिया

Madhya Pradesh News:मध्यप्रदेश में एक गजब वाकया हुआ। सांप मानो एक शख्स के पीछे ही पड़ गए। उसे एक-दो-चार बार नहीं पूरे 38 बार काटा। हर बार सांप काटने के बाद शख्स को 4 लाख रुपए बतौर मुआवजा दिए गए। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए यह हकीकत बताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सांप घोटाला हुआ है, केवल एक जिले से ही 11 करोड़ रुपए का कागजी मुआवजा सर्पदंश पीड़ितों को दिया गया।

प्रदेश के सांप घोटाले पर जीतू पटवारी ने ट्वीट करते हुए मध्यप्रदेश वासियों से पूछा कि सोचिए, बाकी 54 जिलों में सरकारी भ्रष्टाचार की क्या स्थिति होगी? (Madhya Pradesh News)देश-विदेश में कई घोटाले हुए हैं जिनमें अब नया सांप घोटाला भी शामिल हो गया है। प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य सरकार पर सांप काटने के नाम पर कागजी मुआवजा बांटकर घोटाले का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि सिवनी की एक व्यक्ति को 38 बार सांप ने काटा और हर बार के 4-4 लाख रुपए उसके नाम पर निकाल लिए।

जानिए क्या है ‘सांप घोटाला’?

राज्य सरकार की योजना के अनुसार सांप के काटने से मौत होने पर 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है. लेकिन सिवनी जिले में इसी योजना का दुरुपयोग करते हुए फर्जीवाड़ा किया गया। एक व्यक्ति ‘रमेश’ के नाम पर 30 बार, और रामकुमार के नाम पर 19 बार,मौत का दावा किया गया और हर बार मौत का कारण “सर्पदंश” बताया गया. इन फर्जी दावों के आधार पर 1 करोड़ 20 लाख रुपये का गबन किया गया।

38 बार ‘सांप’ ने काटा एक ही व्यक्ति को!


जीतू पटवारी ने वीडियो जारी कर बताया कि सिवनी जिले के एक व्यक्ति को कागजों में 38 बार सांप ने काटा और हर बार 4 लाख रुपये मुआवजा दिखाकर 1 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “कभी नहीं सुना था कि सांप काटने का भी घोटाला हो सकता है… लेकिन यह मध्य प्रदेश में संभव है।

बिना प्रमाणपत्र, बिना पीएम रिपोर्ट के हुआ भुगतान

जांच में खुलासा हुआ है कि इन सभी फर्जी मामलों में मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, और पुलिस वेरिफिकेशन तक मौजूद नहीं था। फिर भी बिल पास हुए और पैसे सीधे कोषालय स्तर से जारी कर दिए गए।

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