14 खोपड़ियां चीखी, इंसानी भेजे का सूप पिलाने वाला नरभक्षी पकड़ा गया, 25 साल बाद न्याय होगा?
Lucknow Court Convicts Raja Kolandar: लखनऊ में एक खतरनाक अपराधी को हत्या का दोषी पाया गया है। अपराधी का नाम राजा कोलंदर है। सीरियल किलर, नरभक्षी और खोपड़ी इकट्ठा करने वाले राजा कोलंदर को साल 2000 में हुए दोहरे हत्याकांड में सोमवार को लखनऊ की एक अदालत ने दोषी करार दिया। जज रोहित सिंह शुक्रवार को उसकी सजा का ऐलान करेंगे। बताया जा रहा है कि राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन और उसके साले बच्छराज कोल को 22 वर्षीय मनोज कुमार सिंह और उसके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव का अपहरण कर हत्या करने का दोषी पाया गया है।(Lucknow Court Convicts Raja Kolandar) राजा कोलंदर और उसके साले बच्छराज को इससे पहले पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या का दोषी पाया गया था। इस मामले में राजा के फार्महाउस से 14 मानव खोपड़ियां बरामद की गई थीं। इस मामले में दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
जंगल में मिले शव
24 जनवरी 2000, मनोज कुमार और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव लखनऊ से रीवा की यात्रा पर निकले। उन्होंने चारबाग स्टेशन के पास छह लोगों को गाड़ी में बिठाया, जिनमें एक महिला भी थी। इसके बाद उनका आखिरी लोकेशन रायबरेली के हरचंदपुर में मिला, जहां उन्हें एक चाय की दुकान पर देखा गया था। फिर दोनों अचानक लापता हो गए। तीन दिनों की बेचैनी के बाद जब कोई खबर नहीं आई, तो मनोज के पिता शिव हर्ष सिंह ने नाका थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने भी खूब तलाशी ली लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। लेकिन कुछ हफ्तों बाद शंकरगढ़ के घने जंगलों में दो शव मिले जो मनोज और रवि के थे।
मानव मस्तिष्क से बना सूप पीता था
इसके बाद यह बात सामने आई कि राजा कोलंदर नरभक्षी था और खोपड़ियाँ इकट्ठा करता था। राजा कोलंदर पर सिर काटकर मानव मस्तिष्क से बना सूप बनाकर पीने का आरोप है। आपको बता दें कि राजा कोलंदर और उसके साले के खिलाफ 25 साल पहले वर्ष 2000 में दोहरे हत्याकांड का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में मनोज कुमार सिंह के पिता शिव हर्ष सिंह ने शिकायत दर्ज कराई थी।
25 साल बाद मिलेगी सजा
पुलिस ने 21 मार्च 2001 को चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी, लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते मामले की सुनवाई शुरू नहीं हो सकी। इस मामले की सुनवाई वर्ष 2013 में शुरू हुई। जानकारी के मुताबिक, मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए निकले थे। उन्होंने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से छह यात्रियों को उठाया। इनमें एक महिला भी थी।
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