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LokSabha Elections 2024- अखिलेश का चुनाव न लड़ने का निर्णय, पार्टी और पारिवारिक एकता पर क्या है सपा की प्लानिंग?

LokSabha Elections 2024- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। इसके पीछे सियासी कारण हैं। वह उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में बने रहना चाहते हैं ताकि 2027 के...
07:18 PM Apr 23, 2024 IST | N Navrahi/एन नवराही
LokSabha Elections 2024- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। इसके पीछे सियासी कारण हैं। वह उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में बने रहना चाहते हैं ताकि 2027 के...
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LokSabha Elections 2024- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है। इसके पीछे सियासी कारण हैं। वह उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में बने रहना चाहते हैं ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी को मजबूत बना सकें। लोकसभा चुनाव नहीं लड़कर अखिलेश यादव पूरे प्रदेश में चुनावी दौरे करके जनता के बीच मौजूद रहने का संदेश देने की कोशिश करेंगे।

2022 में नेता प्रतिपक्ष का पद खुद संभाला

2022 में विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव मैनपुरी के करहल से विधायक बने। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष का पद खुद संभाला। और आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। चाचा शिवपाल के साथ आने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष के पद को उन्होंने अपने पास बरकरार रखा। नेता प्रतिपक्ष के पास कैबिनेट मंत्री की तरह कई अधिकार होते हैं। प्रदेश की सियासत के आधार पर भी नेता प्रतिपक्ष का पद अहम माना जाता है।

पार्टी की रणनीति के तहत फैसला

लोकसभा चुनाव में उनके आजमगढ़ अथवा कन्नौज से लडने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव और कन्नौज से तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार घोषित कर उन्होंने इन संभावनाओं पर विराम लगा दिया। हालांकि जानकार कहते है कि उनका चुनाव न लड़ना पार्टी की रणनीति का हिस्सा है।लोकसभा चुनाव न लड़ कर अखिलेश यादव ने खुद को एक सीट पर नहीं रोका।

पारिवारिक एकजुटता की कोशिश

अखिलेश यादव ने कन्नौज से तेज प्रताप यादव को टिकट देकर पार्टी के अंदर किसी तरह के विरोध को रोका है। कन्नौज से पहले डिंपल यादव सांसद थीं, लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद वह मैनपुरी से लोकसभा उपचुनाव लड़ीं, जबकि यहां से तेज प्रताप सांसद रह चुके हैं। ऐसे में मैनपुरी के बदले कन्नौज देकर उन्होंने पारिवारिक एकजुटता का संदेश देने की कोशिश की है।

 

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