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‘अबू सैफुल्लाह’ की रहस्यमयी मौत से लश्कर को बड़ा झटका! नेपाल से भारत के खिलाफ चला रहा था आतंकी नेटवर्क

जिस आतंकवादी की तलाश सालों से भारतीय एजेंसियों को थी, अबू सैफुल्लाह खालिद, उसकी कहानी अब खत्म हो चुकी है। लश्कर-ए-तैयबा का यह खूंखार आतंकी, जो भारत में कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा, पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अज्ञात...
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जिस आतंकवादी की तलाश सालों से भारतीय एजेंसियों को थी, अबू सैफुल्लाह खालिद, उसकी कहानी अब खत्म हो चुकी है। लश्कर-ए-तैयबा का यह खूंखार आतंकी, जो भारत में कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा, पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अज्ञात हमलावरों की गोलियों का शिकार बन गया। ये सिर्फ एक आतंकी की मौत नहीं, बल्कि भारत-विरोधी गतिविधियों में जुटे लश्कर के 'नेपाल मॉड्यूल' के खात्मे की शुरुआत है।

कौन था अबू सैफुल्लाह खालिद?

अबू सैफुल्लाह उर्फ रजाउल्लाह निजामनी — एक ऐसा नाम जो साल 2000 से लेकर 2008 तक भारत में दहशत फैलाने वाले कई आतंकी हमलों से जुड़ा रहा।

  • 2006: नागपुर में RSS मुख्यालय पर हमला, मास्टरमाइंड – सैफुल्लाह
  • 2005: बेंगलुरु में IISc पर हमला, जिसमें प्रोफेसर मुनिश चंद्र पुरी मारे गए
  • 2008: रामपुर CRPF कैंप पर हमला, जिसमें 8 लोग जान गंवा बैठे
  • सैफुल्लाह कई नामों से काम करता था – गाजी, विनोद कुमार, सलीम, और रजाउल्लाह।

नेपाल से चलता था लश्कर का 'सीक्रेट ऑपरेशन'

साल 2000 में सैफुल्लाह को लश्कर-ए-तैयबा के नेपाल मॉड्यूल का इंचार्ज बनाया गया था। वह भारत-नेपाल सीमा से कैडरों की भर्ती, वित्तीय मदद और लॉजिस्टिक्स संभालता था। उसका नेटवर्क नेपाल से लेकर पाकिस्तान तक फैला हुआ था, और वह लॉन्चिंग कमांडर आज़म चीमा और याकूब के साथ मिलकर भारत में घुसपैठ कराने की प्लानिंग करता था। जब भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को उसके नेटवर्क का पता चला, तो वह नेपाल छोड़ पाकिस्तान भाग गया, और वहीं से अपना आतंकी मिशन जारी रखा।

DGMO Press conference on Operation Sindoor

कैसे हुई मौत?

रविवार दोपहर सिंध प्रांत के बदिन इलाके में, सैफुल्लाह को उसके घर के पास तीन अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी। हॉस्पिटल ले जाते वक्त उसकी मौत हो गई। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स इसे आंतरिक दुश्मनी का नतीजा बता रही हैं, लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इसे लश्कर नेटवर्क पर बड़ा प्रहार मान रही हैं।

लश्कर और जमात-उद-दावा से गहरे रिश्ते

सैफुल्लाह का संबंध सिर्फ लश्कर तक सीमित नहीं था। वह जमात-उद-दावा के भी कई बड़े चेहरों के साथ जुड़ा था – यूसुफ मुजम्मिल, हाशमी और तैबी जैसे नामों के साथ। उसे पाकिस्तान में नए कैडर की भर्ती और फंडिंग का जिम्मा दिया गया था। सैफुल्लाह की मौत अकेला मामला नहीं है। बीते दो वर्षों में 16 से अधिक भारत-विरोधी आतंकी पाकिस्तान में मारे जा चुके हैं – और वह भी अज्ञात हमलावरों द्वारा।

मारे गए आतंकियों में ये बड़े नाम भी हैं शामिल

  • अबू कतल (जियाउर रहमान): झेलम में मारा गया
  • शाहिद लतीफ: पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड, सियालकोट में मारा गया
  • अदनान अहमद: हाफिज सईद का करीबी, पाकिस्तान में मारा गया

'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत खत्म किए गए आतंकी

भारत की खुफिया एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भी कई बड़े आतंकियों को टारगेट किया गया है:

  • अबू जुंदाल (मुदस्सर खादियान खास) – लश्कर
  • हाफिज मुहम्मद जमील – जैश
  • मोहम्मद यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद जी – जैश
  • अबू अकाशा (खालिद) – लश्कर
  • मोहम्मद हसन खान – जैश

आतंकवाद के खिलाफ भारत को मिली बड़ी कामयाबी

अबू सैफुल्लाह खालिद की मौत सिर्फ एक आतंकी की कहानी का अंत नहीं है, बल्कि यह उस क्रॉस-बॉर्डर नेटवर्क के कमजोर होने की शुरुआत है, जिसने सालों तक भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचे। भारत की स्मार्ट इंटेलिजेंस और वैश्विक दबाव रणनीति ने अब लश्कर और जैश जैसे संगठनों को अपने ही घर में असुरक्षित बना दिया है।

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