लद्दाख के लिए केंद्र का बड़ा तोहफा: 85% नौकरियां लोकल्स के लिए, महिलाओं को एक-तिहाई सीटें
केंद्र सरकार ने लद्दाख के लोगों को खुशखबरी दी है। नई आरक्षण और डोमिसाइल नीतियों का ऐलान कर दिया गया है, जिससे स्थानीय लोगों को नौकरियों में बड़ा फायदा मिलेगा और लद्दाख की संस्कृति, भाषा और जमीन की हिफाजत भी सुनिश्चित होगी। नए नियमों के तहत लद्दाख में 85 फीसदी सरकारी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए रिजर्व होंगी। साथ ही, लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषदों (LAHDC) में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10 फीसदी आरक्षण पहले की तरह बरकरार रहेगा।
लद्दाख का डोमिसाइल कौन मानेगा?
नए नियमों के मुताबिक, लद्दाख का डोमिसाइल वही होगा जो वहां 15 साल से रह रहा हो या जिसने 7 साल तक वहां पढ़ाई की हो और 10वीं या 12वीं की परीक्षा दी हो। इसके अलावा, केंद्र सरकार के कर्मचारी, अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी, PSU, बैंकों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों या मान्यता प्राप्त रिसर्च इंस्टिट्यूट में काम करने वाले लोग, जिन्होंने लद्दाख में 10 साल तक नौकरी की हो, उनके बच्चे भी डोमिसाइल के हकदार होंगे। ये डोमिसाइल सर्टिफिकेट सरकारी नौकरियों के लिए काम आएगा, जैसा कि लद्दाख सिविल सर्विसेज डिसेंट्रलाइजेशन एंड रिक्रूटमेंट (संशोधन) रेगुलेशन, 2025 में बताया गया है।
5 नए जिले और भाषाओं को बढ़ावा
पिछले साल अगस्त 2024 में केंद्र ने लद्दाख में 5 नए जिले बनाए थे- जांस्कर, द्रास, शम, नुब्रा और चांगथांग। ये फैसला लद्दाख में विकास को रफ्तार देने और प्रशासन को और चुस्त-दुरुस्त करने के लिए लिया गया था। इसके साथ ही, लद्दाख में अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, भोटी और पुर्गी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। अंग्रेजी का इस्तेमाल सरकारी कामकाज में पहले की तरह जारी रहेगा। सरकार ने शिना, ब्रोकस्कट, बाल्टी और लद्दाखी जैसी स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए भी खास इंतजाम करने का वादा किया है।
महिलाओं और स्थानीय लोगों को सशक्त करने की मुहिम
लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (लेह और कारगिल) में अब कम से कम एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी। इन सीटों को अलग-अलग क्षेत्रों में बारी-बारी से आवंटित किया जाएगा। ये कदम महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी भागीदारी बढ़ाने की दिशा में बड़ा है। साथ ही, 85 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए रिजर्व होने से लद्दाख के युवाओं को रोजगार के नए मौके मिलेंगे। EWS के लिए 10 फीसदी आरक्षण को अलग रखा गया है।
क्यों पड़ी इन नीतियों की जरूरत?
2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। तब से वहां के लोग अपनी संस्कृति, भाषा और जमीन की सुरक्षा के लिए संवैधानिक गारंटी मांग रहे थे। इस मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने ये नई नीतियां लाई हैं। लद्दाख के लेह और कारगिल स्वायत्त परिषदों को और ताकत देने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। अक्टूबर 2024 में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने दिल्ली में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया था, जिसके बाद सरकार ने लद्दाख के नेताओं के साथ 3 दिसंबर 2024, 15 जनवरी 2025 और 27 मई 2025 को कई राउंड की बातचीत की।
केंद्र की हाई पावर कमेटी का रोल
लद्दाख की मांगों को सुनने के लिए गृह मंत्रालय ने केंद्रीय राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अगुवाई में एक हाई पावर कमेटी (HPC) बनाई थी। इस कमेटी ने लद्दाख की संस्कृति, भाषा, जमीन और रोजगार की हिफाजत के लिए कई सुझाव दिए। कमेटी ने लेह और कारगिल के स्वायत्त परिषदों को और ताकतवर बनाने और संवैधानिक सुरक्षा देने पर भी जोर दिया। इन बातचीतों का नतीजा है कि आज लद्दाख के लिए ये बड़ी नीतियां सामने आई हैं।
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