Sunday, July 20, 2025
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Kunal Kamra Controversy: कुणाल कामरा की संविधान वाली पोस्ट पर लाखों व्यूज, जानें बोलने की आजादी से जुड़ी अहम बातें

Kunal Kamra Controversy: कॉमेडियन कुणाल कामरा अपनी ताजा पैरोडी को लेकर विवादों में घिर गए। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी करना कामरा को भारी पड़ गया। शिंदे गुट के कार्यकर्ता उन पर भड़क गए। साथ ही जिस...
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Kunal Kamra Controversy: कॉमेडियन कुणाल कामरा अपनी ताजा पैरोडी को लेकर विवादों में घिर गए। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर टिप्पणी करना कामरा को भारी पड़ गया। शिंदे गुट के कार्यकर्ता उन पर भड़क गए। साथ ही जिस स्टूडियो में कुणाल कामरा की शूटिंग हुई थी, वहां पर भी तोड़फोड़ की गई। इस मसले के बाद कुणाल ने हाथ में संविधान की एक किताब लेकर पोस्ट किया, जो काफी वायरल हो गया। उन्होंने पोस्ट करते हुए लिखा कि "यही एक मात्र रास्ता है।"

बुरे फंसे कुणाल कामरा

बता दें कि उनके वीडियो की तरह यह पोस्ट भी वायरल हो गया। इसे 15 लाख लोगों ने देख लिया। लाल रंग की यह छोटी सी संविधान की किताब काफी चर्चा में रही। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी जब बीजेपी सरकार के खिलाफ संविधान बचाओ की मुहिम चला रहे थे, तब वे भी इस तरह की किताब साथ में रखे हुए दिखे थे।

संविधान ने दी बोलने की आजादी

कुणाल कामरा ने संविधान की फोटो पोस्ट करके यह मैसेज दिया कि उन्हें बोलने का अधिकार संविधान ने दिया है। लेकिन देश का यही संविधान राजकाज चलाने में सहायता के तौर पर लोगों के कुछ भी बोलने पर रोक भी लगाता है। अभिव्यक्ति की आजादी का अर्थ है कि एक भारतीय नागरिक बोलकर, लिखकर, छापकर, इशारे से या किसी भी तरीके से अपने विचारों को प्रकट कर सकता है। चलिए जानते हैं कि हम क्या-क्या नहीं बोल सकते?

Kunal Kamra Controversy

  • वैसे बयान जब भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो।
  • जब राज्य की सुरक्षा को खतरा हो।
  • जब किसी के बयान से विदेशी राज्यों से मैत्री पूर्ण संबंध बिगड़ने का खतरा हो।
  • जब किसी के बयान से सार्वजनिक व्यवस्था के खराब होने का खतरा हो।
  • जब सार्वजनिक शालीनता या नैतिकता खराब हो।
  • जब किसी के बयान से अदालत की अवमानना हो।
  • जब किसी की मानहानि हो।
  • जब किसी के बयान से अपराध को बढ़ावा मिलता हो।

संविधान का अनुच्छेद 19(2) यह सुनिश्चित करता है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूरी नहीं है। इसे कुछ मानकों पर सीमित किया जा सकता है। अगर बोलने या इशारे से किसी भी तरह का खतरा हो तो बोलने की आजादी पर भी रोक लगा दिया जा सकता है।

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