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भारत के 52वें CJI बने जस्टिस बी.आर. गवई – वक्फ केस बनी पहली बड़ी अग्निपरीक्षा

सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने पदभार संभाल लिया है। वे देश के 52वें CJI होंगे और 23 नवंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे। उनकी नियुक्ति सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक...
01:03 PM May 14, 2025 IST | Sunil Sharma
सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने पदभार संभाल लिया है। वे देश के 52वें CJI होंगे और 23 नवंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे। उनकी नियुक्ति सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक...

सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने पदभार संभाल लिया है। वे देश के 52वें CJI होंगे और 23 नवंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे। उनकी नियुक्ति सिर्फ एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक प्रतीक भी है — एक ऐसा प्रतीक जो न्यायपालिका में समावेशिता और सामाजिक न्याय की गहराई को दर्शाता है। जस्टिस गवई बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले पहले और अनुसूचित जाति से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। उनके कार्यकाल की शुरुआत ही एक बड़े और संवेदनशील मामले से हुई है – वक्फ संपत्ति से जुड़ा मामला, जिसे देशभर में बेहद करीब से देखा जा रहा है।

न्यायपालिका में लिखा जाएगा नया अध्याय

जस्टिस गवई की नियुक्ति न सिर्फ ऐतिहासिक है, बल्कि न्यायपालिका की बदलती सोच और बढ़ती विविधता की ओर भी संकेत करती है। उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट से संविधान, समानता और मानवाधिकारों पर आधारित फैसलों की बड़ी उम्मीदें की जा रही हैं। उनका छह साल का सुप्रीम कोर्ट का सफर 700 से अधिक पीठों का हिस्सा बनकर बीता है। इस दौरान उन्होंने करीब 300 फैसले लिखे हैं, जिनमें संविधान पीठों के कई ऐतिहासिक निर्णय शामिल हैं।

कुछ प्रमुख फैसले जिन्होंने बनाई गवई की पहचान

वकालत से न्याय की कुर्सी तक का सफर

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। 1985 में उन्होंने वकालत की शुरुआत की और 1987 से बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। वे नागपुर नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील भी रहे। वर्ष 2003 में वह बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बनाए गए, वर्ष 2005 में स्थायी न्यायाधीश बनें और वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उन्होंने मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद, और पणजी की खंडपीठों में हजारों मामलों की सुनवाई की है।

अब तक सैंकड़ों मामलों में सुना चुके हैं फैसला

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, जस्टिस गवई ने छह सालों में सैंकड़ों विषयों जैसे – सिविल, आपराधिक, पर्यावरण, शिक्षा, वाणिज्यिक विवाद, मध्यस्थता, और विद्युत कानून – पर गहरी समझ के साथ फैसले सुनाए हैं। उनके निर्णयों में न सिर्फ कानून की व्याख्या, बल्कि संवेदनशीलता और न्याय का संतुलन भी दिखता है।

देश और आम जनता को है उनसे बहुत सारी उम्मीदें

जस्टिस बी.आर. गवई का कार्यकाल न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि सामाजिक समावेशिता और संवैधानिक नैतिकता की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो सकता है। वक्फ केस, सामाजिक-राजनीतिक दृष्टिकोण से उनकी पहली बड़ी परीक्षा होगी, और देश की निगाहें उनके नेतृत्व पर टिकी रहेंगी।

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