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जयपुर से UAE तक बकरों की हवाई यात्रा! 10 दिन में 9350 बकरों ने किया सफर, जानिए क्या है पूरा मामला?

जयपुर से UAE तक 10 दिन में 9350 बकरों की हवाई यात्रा ने सबको चौंकाया। जानिए क्यों राजस्थान के बकरों की खाड़ी देशों में इतनी मांग है।
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Rajasthani Goat Huge demand: राजस्थान के जयपुर से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) तक बकरों की हवाई यात्रा ने सभी का ध्यान खींचा है। पिछले 10 दिनों में कार्गो विमानों के जरिए 9350 बकरों को UAE भेजा गया है। ये सभी बकरे बकरीद के लिए तैयार किए गए हैं, जिसमें शेखावाटी, सिरोही और बीकानेर नस्ल के बकरे शामिल हैं। इन बकरों की खाड़ी देशों में भारी मांग है, और इस बार जयपुर से बड़े पैमाने पर निर्यात किया गया है।

हर उड़ान में 450 से 950 बकरों का सफर, कैसे होती है ये लॉजिस्टिक्स?

इस अभियान में हर कार्गो उड़ान में औसतन 450 से 950 बकरों को ले जाया गया। इन बकरों को विशेष पैकिंग और वेंटिलेशन सिस्टम के साथ विमान में लादा गया, ताकि वे सुरक्षित और स्वस्थ रहें। जयपुर एयरपोर्ट पर पशुओं के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, जिसमें उनके स्वास्थ्य की जांच, फीडिंग और रेस्ट की पर्याप्त सुविधाएं शामिल थीं। यह पूरा ऑपरेशन राजस्थान के पशुपालकों और निर्यातकों के लिए एक बड़ा अवसर साबित हुआ है।

राजस्थानी नस्ल के बकरों की क्यों है इतनी डिमांड?

खाड़ी देशों में राजस्थान के बकरों की मांग हमेशा से रही है, क्योंकि ये नस्लें अपने मांस की गुणवत्ता और स्वास्थ्य के लिए जानी जाती हैं। शेखावाटी नस्ल के बकरे मांस उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं और इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है। वहीं, सिरोही नस्ल की बकरियां दूध और मांस दोनों के लिए उत्तम मानी जाती हैं। बीकानेर नस्ल के बकरे अपने ऊन और मांस के लिए जाने जाते हैं, जिनकी खास पहचान उनकी रोमन नोज (उभरी हुई नाक) और जांघों पर सफेद बाल होते हैं।

क्या जयपुर बनेगा बकरों के निर्यात का हब?

इस सफल निर्यात के बाद जयपुर को बकरों के निर्यात का प्रमुख केंद्र बनने की उम्मीद है। यहां से खाड़ी देशों के लिए सीधी उड़ानों की संख्या बढ़ने से पशुपालकों को बेहतर मूल्य मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। पहली कार्गो फ्लाइट 1 मई को UAE भेजी गई थी, और अब इस तरह के निर्यात को नियमित करने की योजना बनाई जा रही है। इससे राजस्थान के पशुपालकों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचने का मौका मिलेगा।

क्या भारत से पशु निर्यात का यह नया अध्याय स्थायी होगा?

यह पहली बार नहीं है जब भारत से बकरों का निर्यात किया गया है, लेकिन इस बार यह अभियान बड़े पैमाने पर और व्यवस्थित तरीके से चलाया गया। अगर इसी तरह की व्यवस्था बनी रही, तो जयपुर न केवल बकरों के निर्यात का हब बनेगा, बल्कि अन्य पशुधन के लिए भी एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर सकता है। सरकार और निर्यातकों को इस दिशा में और प्रयास करने होंगे, ताकि पशुपालकों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके और भारत का पशुधन निर्यात विश्व बाजार में अपनी पहचान बना सके।

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