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29,000 KM/घंटा की स्पीड से 'डॉगफाइट', अंतरिक्ष में ISRO की ताकत से पाकिस्तान के छूटेंगे पसीने!

नई दिल्ली। जब अमेरिका ने चीन पर अंतरिक्ष में ‘डॉगफाइट’ का आरोप लगाया था, तब दुनिया चौंकी थी। लेकिन, अब भारत ने भी ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है।
07:02 PM May 06, 2025 IST | Pushpendra Trivedi

नई दिल्ली। जब अमेरिका ने चीन पर अंतरिक्ष में ‘डॉगफाइट’ का आरोप लगाया था, तब दुनिया चौंकी थी। लेकिन, अब भारत ने भी ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। ISRO ने SPADEX मिशन के तहत दो भारतीय सैटेलाइट्स को 29,000 किलोमीटर/घंटा की रफ्तार से अंतरिक्ष में आमने-सामने घुमाकर वो कर दिखाया है, जिसकी पाकिस्तान कल्पना भी नहीं कर सकता।

SPADEX यानी Space Docking Experiment मिशन का मकसद था सैटेलाइट्स के बीच ऑटोमेटिकली डॉक-अनडॉक करने की तकनीक को टेस्ट करना। यह मिशन पहले ही सफल हो चुका था। मगर जब ISRO ने पाया कि दोनों सैटेलाइट्स – SDX 01 और SDX 02 – के पास अभी भी करीब 50% ईंधन बचा हुआ है, तो वैज्ञानिकों ने तय किया कि इसका इस्तेमाल एक और कठिन टेस्ट के लिए किया जाएगा।

अंतरिक्ष में ‘डॉगफाइट’ जैसा अभ्यास

फिर जो हुआ, वह अभूतपूर्व था। दोनों सैटेलाइट्स को बेहद सटीक गणना और नियंत्रण के साथ एक-दूसरे के करीब लाया गया, उनकी गति और दिशा इस तरह बदली गई जैसे वायुसेना के फाइटर जेट्स आकाश में आमने-सामने की टक्कर के अभ्यास में हों। ये सैटेलाइट्स 28,800 KM/घंटा की रफ्तार से उड़ रहे थे, जो किसी भी सामान्य हवाई जहाज से 28 गुना तेज है! ISRO ने इस पूरे अभ्यास को ‘टेक्निकली बहुत जटिल और चुनौतीपूर्ण’ बताया। यह ISRO की क्षमता का वो पहलू दिखाता है, जो सिर्फ रॉकेट लॉन्च करने से कहीं आगे है। यह असली ‘स्पेस वारफेयर’ की तैयारी का संकेत है।

अमेरिका को चिंता, भारत ने दिखाई सटीकता

मार्च 2025 में अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया था कि वह अपने सैटेलाइट्स के जरिए अंतरिक्ष में डॉगफाइट के अभ्यास कर रहा है। इसे अमेरिका ने संभावित सैन्य खतरे के तौर पर देखा। अब भारत ने भी ऐसा ही अभ्यास किया है, लेकिन एकदम शांत और वैज्ञानिक तरीके से। यह भारत के बढ़ते स्पेस डिफेंस और ऑर्बिटल डॉमिनेंस की झलक है।

पाकिस्तान कहां खड़ा है?

जब भारत अंतरिक्ष में इस तरह की एडवांस तकनीकों का परीक्षण कर रहा है, पाकिस्तान अब भी GPS के लिए चीन और अमेरिका पर निर्भर है। न तो उसके पास ऐसी ऑर्बिटल तकनीक है, न ही ऐसा कोई कार्यक्रम जो SPADEX जैसी परियोजनाओं की बराबरी कर सके। भारत का यह कदम न सिर्फ वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि एक सामरिक संदेश भी है कि हम न सिर्फ पृथ्वी पर, बल्कि अंतरिक्ष में भी तैयार हैं।

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