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दुश्मन की हर चाल पर है ISRO की निगाहें, समंदर से पाकिस्तान के अंदर तक नहीं छिपेगा कुछ भी

आज के आधुनिक युग में, राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सेना और हथियारों पर निर्भर नहीं रही। अब इसके साथ-साथ अत्याधुनिक तकनीकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी उपग्रह प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत की सुरक्षा...
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आज के आधुनिक युग में, राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सेना और हथियारों पर निर्भर नहीं रही। अब इसके साथ-साथ अत्याधुनिक तकनीकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपनी उपग्रह प्रौद्योगिकी के माध्यम से भारत की सुरक्षा को एक नई दिशा दी है। ISRO के 10 उपग्रह न केवल भारत की सीमा पर, बल्कि समंदर के भीतर और पाकिस्तान तक की निगरानी भी करते हैं।

ISRO की उपग्रह तकनीक: भारत की सुरक्षा का अनमोल खजाना

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष, वी. नारायणन ने हाल ही में इस बात पर जोर दिया कि यदि भारत को अपनी सुरक्षा को और सशक्त बनाना है, तो उपग्रहों की भूमिका बेहद अहम हो गई है। उनके अनुसार, आज हमारे पास 10 उपग्रह हैं, जो हर पल हमारी सुरक्षा पर नजर रखते हैं, खासकर हमारे 7,000 किलोमीटर लंबे समुद्री तट पर। इसके बिना कई सुरक्षा चुनौतियों से निपटना संभव नहीं होता।

उपग्रह प्रौद्योगिकी: सुरक्षा की सबसे बड़ी पंक्ति

समय के साथ, राष्ट्रीय सुरक्षा के नए आयाम सामने आए हैं। अब हमें ऐसी तकनीकी सुविधाओं की आवश्यकता है जो वास्तविक समय में जानकारी मुहैया कराएं और किसी भी खतरे से निपटने में हमारी मदद करें। उपग्रह प्रौद्योगिकी इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रही है। यह न केवल सीमा सुरक्षा में सहायक है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं, समुद्री खतरों और अन्य सुरक्षा संकटों में भी यह प्रभावी भूमिका निभाती है।

ISRO Satellites

10 उपग्रहों की चौबीसों घंटे की निगरानी

भारत के पास जो 10 उपग्रह हैं, वे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और संरक्षा के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। ये उपग्रह न केवल सीमाओं की निगरानी करते हैं, बल्कि समुद्री क्षेत्रों में भी किसी भी संदिग्ध गतिविधि का पता लगाते हैं। उपग्रहों की मदद से भारत सरकार और सुरक्षा एजेंसियां किसी भी खतरे को पहले ही पहचान सकती हैं और समय रहते कार्रवाई कर सकती हैं।

समुद्री तट की सुरक्षा: एक बड़ी चुनौती

भारत का समुद्री तट दुनिया के सबसे लंबे तटीय क्षेत्रों में से एक है। इसका विस्तार लगभग 7,000 किलोमीटर तक फैला हुआ है, जिससे समुद्र के रास्ते होने वाली तस्करी, आतंकवादी गतिविधियाँ और अवैध घुसपैठ जैसी समस्याओं से निपटना बड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसरो के अध्यक्ष ने बताया कि उपग्रह प्रौद्योगिकी ने इस चुनौती को हल कर दिया है। उपग्रहों की मदद से हम समुद्र के रास्ते होने वाली किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत पहचान कर सकते हैं। यह तकनीक हमें तत्काल निर्णय लेने और कार्रवाई करने की शक्ति प्रदान करती है।

उपग्रह और ड्रोन: सुरक्षा की दो मजबूत आँखें

ISRO ने उपग्रह और ड्रोन प्रौद्योगिकी का संयोजन कर भारत की सुरक्षा को और भी सशक्त बना दिया है। उपग्रह जहां बड़े क्षेत्रों की निगरानी करते हैं, वहीं ड्रोन छोटे और दुर्गम इलाकों में सटीक जानकारी प्रदान करते हैं। दुर्गम इलाकों जैसे पहाड़ी या जंगली क्षेत्रों में जहां मानव पहुंच मुश्किल है, वहां ड्रोन से निगरानी करना अत्यंत लाभकारी साबित हो रहा है। उपग्रह और ड्रोन की संयुक्त कार्यप्रणाली भारत की सुरक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जा रही है।

वास्तविक समय में सुरक्षा: सूचना की तेज़ी से प्राप्ति

उपग्रह और ड्रोन के संयोजन से प्राप्त होने वाली जानकारी वास्तविक समय में होती है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां त्वरित निर्णय ले सकती हैं। इससे न केवल सीमा सुरक्षा को मजबूती मिलती है, बल्कि समुद्र के रास्ते होने वाली अवैध गतिविधियों पर भी कड़ी नजर रखी जा सकती है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम

वी. नारायणन ने यह भी कहा कि उपग्रहों के बिना कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता। उनका यह बयान भारत के लिए आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम बढ़ाने की प्रेरणा देता है। उपग्रह प्रौद्योगिकी न केवल भारत की सुरक्षा को सुनिश्चित करती है, बल्कि इसे विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

भविष्य में और विकास की आवश्यकता

भारत की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए ISRO का यह अभियान भविष्य में और भी विस्तारित होगा। अगले कुछ वर्षों में उपग्रह और ड्रोन तकनीकी में और सुधार लाया जाएगा, ताकि भारत हर खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हो सके। इसरो की उपग्रह प्रौद्योगिकी ने न केवल भारतीय सुरक्षा को एक नई दिशा दी है, बल्कि यह देश को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।

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