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दिल्ली पर खतरे की आहट: ISI की बड़ी साजिश नाकाम, दो पाक जासूस गिरफ्तार

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI एक बार फिर भारत को अस्थिर करने की कोशिश में जुट गई थी। लेकिन इस बार भारतीय एजेंसियों ने समय रहते उस योजना को ध्वस्त कर दिया। तीन महीने तक चलाए गए गुप्त ऑपरेशन के...
09:51 AM May 22, 2025 IST | Sunil Sharma
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI एक बार फिर भारत को अस्थिर करने की कोशिश में जुट गई थी। लेकिन इस बार भारतीय एजेंसियों ने समय रहते उस योजना को ध्वस्त कर दिया। तीन महीने तक चलाए गए गुप्त ऑपरेशन के...

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI एक बार फिर भारत को अस्थिर करने की कोशिश में जुट गई थी। लेकिन इस बार भारतीय एजेंसियों ने समय रहते उस योजना को ध्वस्त कर दिया। तीन महीने तक चलाए गए गुप्त ऑपरेशन के बाद खुफिया एजेंसियों ने न केवल इस साजिश को नाकाम किया, बल्कि दो एजेंटों को दबोचकर एक बड़ा जासूसी नेटवर्क भी उजागर कर दिया।

दिल्ली को था निशाना, अंसारी बना ISI का मोहरा

इस ऑपरेशन की शुरुआत जनवरी 2024 में हुई, जब सूत्रों से मिली एक अस्पष्ट जानकारी पर कार्रवाई शुरू की गई। ISI ने अपने एजेंट अंसारुल मियां अंसारी को नेपाल के रास्ते भारत भेजा था। उसका मकसद था दिल्ली में रहकर भारतीय सशस्त्र बलों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी इकट्ठा करना और उसे पाकिस्तान भेजना।

ब्रेनवॉश कर बनाया गया जासूस

खुफिया सूत्रों के अनुसार, अंसारी पहले कतर में टैक्सी ड्राइवर था, वहीं उसे ISI एजेंट ने फुसलाया और ब्रेनवॉश करके जासूसी के लिए तैयार किया गया। उसने जून 2024 में रावलपिंडी जाकर पाकिस्तान सेना के अधिकारियों से मुलाकात की थी, जहां उसे भारत विरोधी सोच से कट्टर बनाया गया।

कैसे बिछा खुफिया एजेंसियों ने जाल

सूत्रों के अनुसार, ISI दिल्ली में आतंकी हमले की योजना बना रही थी और इसके लिए जासूसी के जरिए सटीक जानकारी जुटाई जा रही थी। लेकिन भारतीय एजेंसियों ने अंसारी की हर गतिविधि पर नजर रखी। 15 फरवरी को उसे मध्य दिल्ली से पकड़ा गया, जब वह नेपाल के रास्ते पाकिस्तान भागने की फिराक में था। उसके पास से गोपनीय सैन्य दस्तावेज, नक्शे और कोऑर्डिनेट्स बरामद किए गए। पूछताछ में उसने कबूल किया कि वो ISI के निर्देश पर काम कर रहा था और उसका एक सहयोगी रांची निवासी अखलाक आज़म भारत में उसे लॉजिस्टिक मदद दे रहा था।

मोबाइल से मिली साजिश की पूरी स्क्रिप्ट

जांच में दोनों के मोबाइल फोन से कई संदिग्ध बातचीत और फाइलें मिलीं, जो पाकिस्तान में मौजूद ISI अधिकारियों के साथ हुई थी। इससे साफ हो गया कि ये कोई साधारण जासूसी नहीं, बल्कि एक बड़े आतंकी हमले की तैयारी थी।

पाक उच्चायोग के अधिकारियों पर भी शक

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साजिश में दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग के कुछ कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। ISI अफसर मुजम्मिल और एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश पर आरोप है कि वे भारत के YouTubers और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को फंसाने की कोशिश कर रहे थे।

ब्रेनवॉश और ट्रेनिंग का पूरा तंत्र

अदालत में दाखिल रिपोर्ट के मुताबिक, अंसारी को पाकिस्तान में न केवल ब्रेनवॉश किया गया, बल्कि जासूसी के तकनीकी और मानसिक प्रशिक्षण भी दिया गया था। उसे सिखाया गया था कि भारत में धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों का कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है। दोनों आरोपियों को अब तिहाड़ जेल की हाई-सिक्योरिटी विंग में रखा गया है। खुफिया विभाग उन पर कड़ी नजर रख रहा है ताकि वे जेल में किसी को भड़काने या ब्रेनवॉश करने की कोशिश न करें। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं था, यह राष्ट्रीय सुरक्षा की जंग थी – और भारत ने इसमें बढ़त बना ली है। अब हर गतिविधि पर हमारी पैनी नजर है।

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