प्रीति, पायल और आकृति के चक्कर में फंसा इंजीनियर: ISI के हनीट्रैप में फंसकर 14 युद्धपोतों की जानकारी कर डाली लीक!
महाराष्ट्र एटीएस ने एक ऐसा सनसनीखेज मामला उजागर किया है जो देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। कलवा, ठाणे के रहने वाले इंजीनियर रवि वर्मा पर आरोप है कि उसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI को भारतीय नौसेना की 14 पनडुब्बियों और युद्धपोतों की संवेदनशील जानकारी लीक कर दी। यह सब हुआ तीन महिलाओं – प्रीति, पायल और आकृति के जाल में फंसकर, जो असल में ISI की लेडी एजेंट्स थीं। इन्होंने भारतीय सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रवि को हनीट्रैप में फंसाया और फिर देश के गहरे रक्षा रहस्यों तक पहुंच बना ली।
फेसबुक फ्रेंड रिक्वेस्ट से शुरू हुआ जासूसी का खेल
नवंबर 2024 में रवि वर्मा को फेसबुक पर पायल शर्मा नाम की एक युवती की फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली। धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई, लेकिन रवि को यह नहीं पता था कि पायल कोई साधारण लड़की नहीं बल्कि ISI की एजेंट है। जांच में पता चला कि पायल के अलावा आकृति और प्रीति कुमारी नाम की दो अन्य महिलाएं भी रवि से संपर्क में थीं, जो सभी ISI की एजेंट्स थीं। इन्होंने भारतीय नंबरों का इस्तेमाल कर रवि को यह एहसास ही नहीं होने दिया कि वह पाकिस्तानी एजेंटों से बात कर रहा है।
7 महीने में क्या-क्या लीक हुआ?
एटीएस की जांच में खुलासा हुआ है कि रवि वर्मा ने 7 महीने के अंदर ISI को भारतीय नौसेना की अहम जानकारियां सौंप दीं। इनमें मझगांव डॉकयार्ड और नेवल डॉकयार्ड जैसे संवेदनशील स्थानों की डिटेल्स, युद्धपोतों और पनडुब्बियों की तैनाती, सैन्य भंडारण की व्यवस्था और हथियारों की जानकारी शामिल है। रवि एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था जो नौसेना के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर प्रोजेक्ट्स लेती थी, इसलिए उसे इन जगहों पर आने-जाने की अनुमति थी। उसने इस पहुंच का गलत फायदा उठाकर फोटोज और वीडियोज तक ISI को भेज दिए।
9 हजार रुपये में बेच दी देश की सुरक्षा?
सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह है कि रवि ने यह सारी जानकारी महज 9,000 रुपये के बदले दी। एटीएस को उसके बैंक अकाउंट्स में कुछ संदिग्ध ट्रांजैक्शन मिले हैं, जिनमें पैसे डेड अकाउंट्स से ट्रांसफर किए गए थे। रवि ने अपने फोन से जासूसी से जुड़ी चैट्स और फोटोज डिलीट कर दी थीं, लेकिन एटीएस की टीम ने डिजिटल फोरेंसिक की मदद से यह सब रिकवर कर लिया है। अब उस पर ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट और भारतीय दंड संहिता के तहत केस दर्ज किया गया है। वहीं, दिल्ली पुलिस ने हसन नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया है जो ISI को भारतीय सिम कार्ड मुहैया कराता था। क्या यह सिर्फ एक मामला है या ISI का बड़ा नेटवर्क भारतीय सिम कार्ड्स के जरिए जासूसी कर रहा है? सुरक्षा एजेंसियां इसी पहेली को सुलझाने में जुटी हैं।
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