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Operation Sindoor: युद्ध शुरू होने के बाद क्या देश में लग जाती है इमरजेंसी?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान में जंग का खतरा। क्या युद्ध शुरू होते ही इमरजेंसी लगेगी? जानिए इमरजेंसी के नियम और पुलिस के अधिकार क्या होंगे।
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भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से दोनों देशों में तलवारें खिंच गई हैं। पाकिस्तान LoC पर लगातार गोलाबारी कर रहा है, जिसमें 16 लोग मारे जा चुके हैं। इतना ही नहीं, उसने भारत के 15 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की नाकाम कोशिश की। जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के लाहौर में तैनात एयर डिफेंस सिस्टम को तहस-नहस कर दिया। इस झटके से पाकिस्तान तिलमिला गया है, और अब जंग की आशंका गहरा रही है। लेकिन सवाल ये है कि अगर जंग छिड़ी, तो क्या देश में इमरजेंसी लग जाएगी? आइए, इसे लल्लनटॉप स्टाइल में आसान भाषा में समझते हैं।

ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान को करारा जवाब

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई को पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इसके बाद पाकिस्तान बौखला गया। उसने भारत के 15 सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने इसे नाकाम कर दिया। इतना ही नहीं, भारत ने लाहौर में तैनात पाकिस्तान के चीनी HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम को भी तबाह कर डाला। इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को सकते में डाल दिया है।

LoC पर तनाव, 16 नागरिकों की मौत

पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर के बाद से LoC पर लगातार सीजफायर तोड़ रहा है। जम्मू-कश्मीर के पूंछ, राजौरी और तंगधार जैसे इलाकों में उसकी गोलाबारी में 16 नागरिक मारे जा चुके हैं और दर्जनों घायल हैं। भारत भी चुप नहीं है। भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी पोस्ट्स को भारी नुकसान पहुंचाया है। विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि अगर पाकिस्तान ने सैन्य कार्रवाई की, तो भारत “मुंहतोड़ जवाब” देगा।

जंग का ऐलान और इमरजेंसी का डर

अभी न तो भारत और न ही पाकिस्तान ने जंग का आधिकारिक ऐलान किया है। लेकिन जिस तरह से हालात बिगड़ रहे हैं, लोग डर रहे हैं कि अगर जंग छिड़ी, तो क्या देश में इमरजेंसी लग जाएगी? क्या आम लोगों की जिंदगी पर इसका असर पड़ेगा? चलिए, इसे समझते हैं।

युद्ध हुआ तो इमरजेंसी लगेगी?

जंग शुरू होने का मतलब ये नहीं कि तुरंत इमरजेंसी लग जाएगी। भारत में इमरजेंसी का कोई ऑटोमैटिक नियम नहीं है। लेकिन अगर युद्ध के दौरान हालात बेकाबू हो गए, तो राष्ट्रपति कैबिनेट की सलाह पर इमरजेंसी की घोषणा कर सकते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि सरकार देश के सारे संसाधनों को अपने कंट्रोल में ले सके और दुश्मन का मुकाबला करने के लिए फुल पावर से काम कर सके।

इमरजेंसी में क्या बदलता है?

इमरजेंसी लगने पर आम लोगों के कुछ अधिकार सीमित हो सकते हैं। सरकार विरोधी प्रदर्शन, हड़ताल या कोई ऐसा काम जो युद्ध के खिलाफ जाए, उस पर पाबंदी लग सकती है। पुलिस के अधिकार भी बढ़ जाते हैं। वो बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है। जरूरत पड़ने पर सेना नागरिकों की सेवाएं या उनके संसाधन (जैसे वाहन, जमीन) भी ले सकती है। यानी, पूरे देश को युद्ध के लिए तैयार किया जाता है।

पुलिस का रोल क्या होगा?

इमरजेंसी में पुलिस का काम और जिम्मेदारी बढ़ जाती है। वो न सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखती है, बल्कि आंतरिक सुरक्षा को भी संभालती है। अगर दुश्मन देश के जासूस या आतंकी देश में घुसने की कोशिश करें, तो पुलिस उन्हें पकड़ने में सेना की मदद करती है। साथ ही, वो अफवाहों और दहशत फैलाने वालों पर भी नजर रखती है। जरूरत पड़ने पर कर्फ्यू लगाने या इलाकों को सील करने का काम भी पुलिस ही करती है।

अब क्या होगा?

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की ये डोर कब टूटेगी, कोई नहीं जानता। पाकिस्तान की गोलाबारी और भारत की जवाबी कार्रवाई ने माहौल को और गर्म कर दिया है। लेकिन जंग का ऐलान और इमरजेंसी जैसे कदम आसान नहीं हैं। दोनों देशों को ये फैसला बहुत सोच-समझकर लेना होगा। फिलहाल, भारत ने साफ कर दिया है कि वो किसी भी हमले का करारा जवाब देगा। अब गेंद पाकिस्तान के पाले में है।

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